वेस्ट टू वेल्थ से सर्कुलरिटी को बढ़ावा देने के प्रयासों को सराहा

वेस्ट टू वेल्थ से सर्कुलरिटी को बढ़ावा देने के प्रयासों को सराहा

इंदौर। भारत के अग्रणी कंप्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी) डेवलपर एवरएनवायरो रिसोर्स मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड के इंदौर के देवगुराड़िया में स्थापित भारत के सबसे बड़े सीबीजी प्लांट में भारत के ब्रिटिश कमिश्नर एलेक्स एलिस ने दौरा किया। एवरएनवायरो, यूके और भारत के ग्रीन ग्रोथ इक्विटी फंड की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी है, जो दोनों सरकारों द्वारा संचालित की जाती है। इस दौरान एवरएनवायरो के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर दीपक अग्रवाल के नेतृत्व में एक टीम ने सीबीजी सुविधा के संचालन का एक व्यापक अवलोकन कराया।

प्रतिनिधिमंडल ने टाटा इंटरनेशनल और लार्सन एंड टूब्रो के इंडस्ट्री पार्टनर, किसानों और स्थानीय सीएनजी, सीबीजी ऑटो चालकों सहित विभिन्न हितधारकों के साथ चर्चा की, जिन्होंने यहां पैदा होने वाली बायोफ्यूल द्वारा उत्पन्न सकारात्मक प्रभाव के बारे में अपने अनुभव साझा किए। प्लांट में बनाए फर्मेंटेड आर्गेनिक मैन्योर(एफओएम) से लाभ लेकर किसानों ने रिजनरेटिव एग्रीकल्चर में इसके महत्वपूर्ण योगदान से मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार, फसल उत्पादन में वृद्धि पर जोर दिया। जल वायु संकट से निपटने की प्रतिबद्धता -एवरएनवायरो रिसोर्स मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर दीपक अग्रवाल ने कहा कि हमारे लिए बहुत सम्मान की बात है कि हम भारत के सबसे बड़े बायो-सीएनजी संयंत्र में ब्रिटिश हाई कमिश्नर का स्वागत कर रहे हैं। यूके- भारत की यह साझेदारी ग्लोबल सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स और जल वायु संकट से निपटने के प्रति हमारी प्रतिबद्धता के साथ पूरी तरह से मेल खाती है।

ग्रीन ग्रोथ इक्विटी फंड के प्रभावों को देखकर हुए खुश

भारत में ब्रिटिश कमिश्नर एलेक्स एलिस ने कहा कि मैं इंदौर में कचरे का उपयोग करके बायोगैस संयंत्र बनाने के लिए यूके और भारत के संयुक्त निवेश, ग्रीन ग्रोथ इक्विटी फंड के प्रभावों को देखकर खुश हूं। उत्पादों का उपयोग किसानों, कारखानों और ऑटो चालकों द्वारा किया जा रहा है। यह निवेश दिखाता है कि ग्रोथ और सस्टेनेबिलिटी एक साथ बड़े पैमाने पर काम कर सकती है।

बायोगैस का 96 प्रतिशत से 97 प्रतिशत शुद्धता के साथ बायोमिथेन में रिफाइन

पर्यावरणीय मुद्दों को संबोधित करने के अलावा एवरएनवायरो की सीबीजी फेसिलिटी ने क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास पर सकारात्मक प्रभाव डाला है। प्लांट में बनने वाली बायो गैस को 96 से 97 प्रतिशत शुद्धता के साथ बायोमिथेन में रिफाइन किया जाता है, जिसका उपयोग शहरी परिवहन और उद्योगों के लिए ईंधन के रूप में किया जाता है, जिससे ईंधन आयात लागत कम हो जाती है और हानिकारक उत्सर्जन कम हो जाता है।