मप्र में बढ़ेगा ईडी का नेटवर्क, डेपुटेशन पर मांगा स्टाफ
जबलपुर, ग्वालियर में भी ईडी ऑफिस खोलने का प्रस्ताव, भोपाल में ज्वाइंट डायरेक्टर की निुयक्ति का इंतजार
भोपाल।मध्यप्रदेश सहित देश के कई राज्यों में बढ़ रहे बैंक फ्रॉड, हवाला जैसे वित्तीय अपराध, मनी लांड्रिंग और विदेशी मुद्रा अधिनियम के उल्लंघन जैसे मामलों को देखते हुए प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) ने निचले स्तर तक अपना सशक्त नेटवर्क बढ़ाने की कवायद तेज कर दी है। भोपाल, इंदौर और रायपुर सहित देश के तीन दर्जन बड़े शहरों के लिए डिप्टी एवं असिस्टेंट डायरेक्टर जैसे पदों पर बड़ी संख्या में भर्ती के लिए डेपुटेशन पर आवेदन बुलाए गए हैं। भोपाल में जोनल आॅफिस खुलने के बाद अब जबलपुर और उसके बाद ग्वालियर में भी ईडी कार्यालय खोलने का प्रस्ताव भी विचाराधीन है। भोपाल जोनल आॅफिस में ज्वाइंट डायरेक्टर की नियुक्ति का इंतजार हो रहा है, अभी अहमदाबाद जेडी के पास भोपाल का अतिरिक्त प्रभार चल रहा है। भोपाल में जोनल आॅफिस खुलने के बाद से यहां इंदौर के ज्यादातर मामलों की जांच ट्रांसफर हो गई है। अब जबलपुर में भी नया आॅफिस खोलने की कार्रवाई चल पड़ी है। महाकोशल में नया कार्यालय खोलने के पीछे तर्क यह है कि जबलपुर, शहडोल और रीवा संभाग से संबंधित मामलों की छानबीन वहीं से होने लगेगी। पड़ताल और पूछताछ के लिए भोपाल तक नहीं आना पड़ेगा। ऐसे मामलों के निपटारे में भी तेजी आएगी। ईडी की छानबीन के चलते जबलपुर डायोसिस के बिशप पीसी सिंह का मामला सुर्खियों में रह चुका है।
भोपाल, इंदौर व रायपुर में की जाएगी तैनाती
ईडी मुख्यालय ने दो महीने पहले सर्कुलर जारी कर डेपुटेशन पर बड़ी संख्या में डिप्टी/असिस्टेंट डायरेक्टर की भर्ती का अभियान शुरू किया है। ये अधिकारी भोपाल, इंदौर के अलावा रायपुर में पदस्थ किए जाएंगे। ईडी के ज्यादातर कार्यालयों में मैदानी स्टाफ के बतौर आयकर, उत्पाद शुल्क , सीमा शुल्क और पुलिस विभाग के अधिकारी तैनात हैं। भर्ती सीधे और अन्य जांच एजेंसियों से की जाती है। वरिष्ठ स्तर पर आईआरएस, आईपीएस और आईएएस अधिकारी भी लिए जाते हैं।
कई मामलों मेंं ईडी की सक्रियता सुर्खियों में रही
हाल ही में इंदौर, जबलपुर, सतना और धार में मनी लांड्रिंग व अन्य मामलों के कारण ईडी की सक्रियता सुर्खियों में रह चुकी है। वित्तीय अपराधों के मामले में जांच अधिकारियो ंने कई ठिकानों पर सर्च कर बड़ी संख्या में दस्तावेज आदि जब्त किए हैं। यह जांच एजेंसी खासतौर पर विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा), विदेशी मुद्रा संरक्षण और तस्करी गतिविधियों की रोकथाम, विदेशी मुद्रा कानून उल्लंघन और धन शोधन निवारण अधिनियम के मामले अपनी पड़ताल में लेती है।