सिरदर्द बनेंगे ई-ऑटो, 2 हजार से ज्यादा चल रहे मनमाने रूटों पर
जबलपुर। करीब 5 साल पहले शहर में जब ईऑटो का चलन शुरू हुआ था तो पर्यावरण दूषित होने से बचत के साथ पेट्रोल-डीजल की बचत और सुगम यातायात का अच्छा साधन प्रतीत हुआ था अब जबकि इनकी संख्या हजारों में हो गई है और मनचाहे रूट पर चलाए जाने से अब ये समस्या बन चुके हैं। जिस गति से इनकी संख्या बढ़ रही है ये तय है कि ये आने वाले समय में प्रशासन के लिए भी समस्या बन जाएंगे जैसे की पेट्रोल और डीजल ऑटो बने हुए हैं। शुरूआत में जब इन्हें चलाया गया तो मिलौनीगंज से लेकर बस स्टैंड तक का रूट तय हुआ था अब ये जहां मन चाहे चला रहे हैं।
उपरोक्त रूट में तो इनकी इतनी ज्यादा संख्या हो गई है कि बाकी ट्रैफिक प्रभावित हो रहा है। यहां तक कि दोपहिया वाहन तक निकालना मुश्किल हो चुका है। प्लॉनिंग यह थी कि ऐसे व्यस्त रूट जहां भीड़-भाड़ ज्यादा होती है में सुलभ परिवहन के लिए ई-ऑटो चलाए जाएं जहां लोगों को सस्ते किराए में पास के गंतव्य तक पहुंचने में सहजता हो। अब ये मेन रोडों में पूरे शहर में धमाचौकड़ी करते नजर आते हैं।
कुल 3 चार्जिंग स्टेशन
3 हजार ई ऑटो के लिए प्रशासन ने केवल 3 चार्जिंग स्टेशन बनाए हैं। जिनकी कुल क्षमता 60 ऑटो को चार्ज करने की है। यदि ये चौबीसों घंटे भी काम करें तो भी 180 ई ऑटो को चार्ज कर सकते हैं। प्रति ऑटो को फुल चार्ज करने में 8 घंटे का समय लगता है। इनका शुल्क 50 रुपए होता है। 3 जगह जहां ई ऑटो को चार्ज करने की सुविधा है इनमें आईएसबीटी में जहां 40 प्वाइंट हैं,दमोहनाका जहां 15 प्वाइंट हैं और मेडिकल जहां 5 प्वाइंट हैं।
बिजली चोरी की भी शिकायतें
एक ई ऑटो को पूरी तरह से चार्ज करने में 3 यूनिट बिजली लगती है और 8 घंटे का समय लगता है ज्यादातर तो रात में अपने घर में ही इन्हें चार्ज कर लेते हैं। वहीं ई ऑटो को चार्ज करने में बिजली चोरी की भी शिकायतें मिलती हैं। बिजली अमला ऐसी शिकायतों पर विजिलेंस जांच करवाने की तैयारी कर रहा है।
नियमों में शिथिलता
ई-ऑटो के लिए नियम भी कड़े नहीं हैं। इनका रूट भी तय नहीं है जिसके चलते ये जहां मन चाहे वहां चलाते हैं। अब जबकि इनकी संख्या जबलपुर में ही 3 हजार से अधिक है तो नियम बनाए जाना जरूरी हो गया है।