जल स्तर गिरने से सूखी ‘ गौरैया’, स्टॉप डैम से खेती चौपट
जबलपुर / दमोह। गर्मी का मौसम शुरू होते ही जिले के कुछ क्षेत्रों में जल संकट की स्थिति निर्मित होने लगी है। शहर से लगभग 30 किमी दूर तेंदूखेड़ा सड़क मार्ग पर स्थित ग्राम परासई के हालत भी कुछ ऐसे ही हैं। 1,000 आबादी वाले इस गांव के लोग 2 किमी दूर महुआघाट और कटंगी ग्राम से पानी लाने को मजबूर है। इस गांव के निकट ही गौरैया नदी है, जिसका उद्गम तेंदूखेड़ा तहसील के ग्राम इमलीडोल से होता है। जो लगभग 50-55 किमी बहने के बाद ब्यारमा नदी में मिल जाती है। परंतु, उसमें भी अब पानी नहीं है। स्थानीय निवासी संजू, पूरन, रणधीर, लखन ने बताया कि नदी की इस हालत से दर्जनों गांवों के किसान परेशान हैं। नदी पर बने स्टॉप डैम के कारण अब किसानों को पानी नहीं मिल पा रहा है।
दिसंबर तक सूख जाती है पूरी नदी : वीरेंद्र
ग्राम तेजगढ़ के वीरेंद्र बताते हैं कि पिछले कई वर्षों से वे इस नदी के पानी में हो रही कमी को देख रहे हैं। गौरैया नदी में 1990 के दशक तक गर्मियों में भी पानी दिखता था, परंतु स्टॉप डैम बनने के बाद से पानी बहना बंद हो गया। दिसंबर तक पानी पूरी तरह खत्म हो जाता है। खेतों में सिंचाई नहीं हो पाती है।
डैम टूटने से उपजाऊ भूमि को नुकसान : देवसिंह
ग्राम परासई के किसान देवसिंह बताते है कि नदी में पहले पानी रहता था, पर अब गर्मी से पहले ही खत्म हो जाता है। डैम बनाए गए, परंतु गुणवत्ता न होने से वे टूट गए, जिससे उपजाऊ भूमि को नुकसान हुआ है। ऐसी स्थिति में जो कृषक अनाज की भरपूर पैदावार कर खुशहाल रहता था, वह टूट गया है। लोग पलायन कर रहे हैं।
अगर नदियों पर स्टॉप डैम सिंचाई के लिए बनाए जाते हैं तो इसमें पानी इकट्ठा रहता है। अगर ये टूट जाएं तो सिंचाई की समस्या आती है। - आर जैन, एसडीओ, जल संसाधन विभाग