सूखे का अलर्ट, मानसून में देरी से किसानों को नुकसान
नई दिल्ली। एक तरफ सूरज की तपिश और बढ़ते तापमान से राहत के लिए लोग मॉनसून की राह देख रहे हैं तो वहीं किसानों को भी बारिश का बेसब्री से इंतजार है। इसबीच देश के कई हिस्सों में पिछले साल किसानों को सूखे की स्थिति के कारण भारी नुकसान उठाना पड़ा था। यूपी के 60 से ज्यादा जिलों में सूखा देखा गया था। जिस वजह से कम पैदावार हुई थी। इस बार भी किसानों के लिए कोई अच्छी खबर नहीं है क्योंकि मानसून में देरी और कम बारिश के कारण किसानों को सूखे की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।
19 फीसदी आबादी को झेलने पड़ेगी कम बारिश
मौसम विभाग के अनुसार, इस साल देश की 19 प्रतिशत आबादी को मानसून में सामान्य से कम बारिश का सामना करना पड़ सकता है। मौसम विभाग का कहना है कि लगभग 13 प्रतिशत आबादी को सामान्य से अधिक बारिश की स्थिति का सामना करने का अनुमान है। मौसम विभाग के अनुसार इस बार मानसून में देरी होगी। केरल में सामान्य रूप से दक्षिण-पश्चिम मानसून 1 जून को प्रवेश करता है, लेकिन इस बार मानसून के 4 जून तक आने का अनुमान है।
मप्र समेत कई राज्यों में कम बारिश का अनुमान
♦ स्काईमेट वेदर के मुताबिक, मध्य और उत्तरी हिस्सों में कम बारिश होने की संभावना है।
♦ गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में जुलाई और अगस्त के मुख्य मानसून महीनों के दौरान कम बारिश होने की उम्मीद है।
♦ उत्तर भारत के कृषि क्षेत्र पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में सीजन की दूसरी छमाही में सामान्य से कम बारिश होने की संभावना है। जिस वजह से यहां के किसानों को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
ला नीना के कारण 20 फीसदी सूखे की आशंका
स्काईमेट वेदर के मुताबिक, 52 प्रतिशत संभावना है कि उत्तर भारत में इस बार सामान्य से कम बारिश हो सकती है। जबकि 40 प्रतिशत संभावना है कि मध्य में सामान्य से कम बारिश हो सकती है। वहीं दक्षिण-पश्चिम मानसून के मौसम में सामान्य बारिश होने का अनुमान लगाया गया है। मौसम विभाग की एजेंसी स्काईमेट वेदर का कहना है कि भारत में इस साल मानसून में सामान्य से कम बारिश होने की संभावना है। ला नीना की स्थिति के अंत के कारण सूखे की 20 प्रतिशत संभावना है।