आनंदम से मोह भंग हुआ दानदाताओं का
जबलपुर। शहर में दर्जनों स्थानों पर आनंदम और नेकी की दीवार वर्ष 2016 में पहले शुरू हुई थी। अब ऐसे स्टॉलों की स्थिति बद्हाल हो गई है। हाल ये है कि आनंदम से दानदाताओं का मोह भंग हो गया है। यही वजह है कि पुराने कपड़ों से खचाखच भर रहने वाले स्टॉल अब सालों से खाली पड़े हैं। इतना ही नहीं यहां वर्षों से सफाई तक नहीं की गई है।
उल्लेखनीय है कि जेडीए के तत्कालीन अध्यक्ष विनोद मिश्रा की पहल पर आनंदम की शुरूआत सिविक सेंटर में की गई थी। शुरू में यहां गरीबों को उनकी पसंद के गर्म कपड़ों के अलावा पार्टी वेयर सेट्स तक मिल जाते थे। इस योजना को आगे बढ़ाने किसी जिम्मेदार या जनप्रतिनिधि ने रुचि नहीं दिखाई और लोगों की जागरूकता खत्म होती गई। अब यहां गरीबों को उनकी पसंद के कपड़े नहीं मिल पा रहे हैं। हालांकि कुछेक सेंटरों में कपड़े रखे हैं लेकिन जानकारी के अभाव और सेंटर में ताला बंद होने से हाल जस के तस हैं।
सफाई तक नहीं हो रही
आनंदम और नेकी की दीवार जैसी महत्वाकांक्षी योजना पर दानदाताओं ने शुरू में अच्छा प्रतिसाद दिया था। अब हाल ये है कि इन सेंटरों में सफाई तक नहीं हो रही। इसकी भी वजह है कि अब इन सेंटरों पर रईस वर्ग पहुंचने में झिझक महसूस कर रहा है। कलेक्ट्रेट, जिला अस्पताल और हनुमानताल जैसे इलाकों में आनंदम के सेंटर्स बंद हो चुके हैं।
यहां शुरू हुए थे सेंटर
आनंदम की पहल जबलपुर विकास प्राधिकरण ने सबसे पहले सिविक सेंटर से शुरू की थी। इसके बाद कलेक्ट्रेट और जिला अस्पताल में भी आनंदम की शुरूआत हुई थी। इसी तरह नगर निगम द्वारा नेकी की दीवार गोरखपुर समेत दर्जनों स्थानों पर बनाई गई थी लेकिन जागरूकता के अभाव में इनका लाभ जरूरतमंदों को नहीं मिल पाया है।
मैंने जब जेडीए अध्यक्ष का प्रभार संभाला था तब आनंदम की शुरूआत की थी। मैंने लोगों को जागरूक किया। सेंटरों में खुद जाकर निरीक्षण करता रहा। कई जगहों पर गरीबों के लिए कपड़ों के अलावा आलू-प्याज तक लोगों ने उपलब्ध कराए थे। कई जगह कर्मचारी भी रखे, लेकिन ध्यान न देने अब नेकी की दीवार खत्म सी हो गई है। -विनोद मिश्रा पूर्व जेडीए अध्यक्ष