मूर्ति बनाकर, पहाड़ों पर चढ़कर और बड़े तालाब में तैराकी कर तन-मन को तरोताजा रखते हैं डॉक्टर्स

मूर्ति बनाकर, पहाड़ों पर चढ़कर और बड़े तालाब में तैराकी कर तन-मन को तरोताजा रखते हैं डॉक्टर्स

चिकित्सक का काम चौबीस घंटे चलता है कोई आपातकालीन स्थिति हो या कोरोना जैसा संकटकाल डॉक्टर्स हमेशा अपने मरीजों के लिए तत्पर रहते हैं लेकिन डॉक्टर्स का यह जीवन खासा तनाव भरा भी होता क्योंकि उनके ऊपर मरीजों के जीवन को बचाने की जिम्मेदारी होती है तो कई बार उन्हें अप्रिय स्थिति का सामना करना पड़ता है। भांति-भांति के मरीजों के साथ धैर्य से बात करने से लेकर आॅपरेशन टेबल पर जिंदगी बचाने की उनकी कोशिश, यह सभी कुछ उन्हें भी चिंता में डालते हैं। डॉक्टर्स कहते हैं, हॉबी के साथ के बिना हमारा दिमाग शांत नहीं रह सकता क्योंकि हजारों बातें और अपने केस की चिंताएं चलती रहती हैं। हॉबी से कुछ देर के लिए हम अपने दिमाग से काम को हटा पाते हैं ताकि सारा एग्रेशन और स्ट्रेस निकल जाए और हम फिर अपने काम में तल्लीन हो सकें।

वीकएंड पर प्ले करता हूं गिटार

मेरी मां बचपन में हारमोनियम लेकर आईं थी, तब मैंने इस बजाने की कोशिश की और मुझे अच्छा लगा तो मैंने बाद में हवाईयन गिटार बजाना शुरू किया क्योंकि उस समय सीखने जाने का समय नहीं मिला। फिर कॉलेज में आकर स्पेनिश गिटार प्ले करने लगा। मैंने गिटार खुद प्रैक्टिस करके सीखा है और अब इंटरनेशनल कॉम्पिटीशन में भाग लेने लगा हूं। अब मेरे पास चार तरह के गिटार हैं जिन्हें वीकएंड्स पर गीतों के साथ जरूर प्ले करता हूं। डॉ. मनोज वैष्णव, पीडियाट्रिशियन

मूर्तिकला है मेरी पसंदीदा हॉबी

काफी सारी जिम्मेदारियों का निर्वहन करना और व्यवस्थाओं को सुचारू रूप से संचालित करने का तनाव तो होता है ही,लेकिन यदि सारा तनाव मन-मस्तिष्क में रखेंगे तो खुद की सेहत पर भी बुरा असर पड़ेगा। मैं समय निकालकर हमेशा से ही आर्ट वर्क से जुड़ा रहता हूं। मुझे मूर्तिकला में विशेष रुचि है तो समय-समय पर मिट्टी से गणेशजी की प्रतिमाएं बनाता हूं और उनकी बारीकी से बारीक डिटेलिंग का ध्यान रखता हूं। मुझे स्केचिंग और लाइन्स का काम भी पसंद है तो एक रूम में मेरे रंग और कैनवास हमेशा साथ होते हैं। इसी के जरिए कुछ देर के लिए दिनभर की आपाधापी से दिमाग को हटा पाता हूं। डॉ. आशीष गोहिया, अधीक्षक, हमीदिया हॉस्पिटल

ट्रेकिंग, तैराकी और जेवलिन थ्रो करता हूं

बड़े तालाब में तैराकी करने के लिए हर हफ्ते जाता हूं। शीतलदास की बगिया से लेकर राजा भोज की प्रतिमा तक 1 किमी तैरने के बाद काफी रिलेक्स फील करता हूं। जब से जीएमसी में पढ़ाई कर रहा था, तभी से मैंने इसे हॉबी के रूप में अपना लिया था। तीन साल से जेवलिन थ्रो सीख रहा हूं। मुझे कैलीग्राफी का शौक है तो घर में खाली समय मिलने पर इसे जरूर करता हूं। इसके अलावा मैंने भारत के कई दुर्गम ट्रेक भी कवर किए हैं , जिसमें केदा कांठा, लेह-लद्दाख, सारपास कसौल, हिमालय रेंज का तपोवन गोमुख ट्रेक कवर किया है। मैं यूथ हॉस्टल के साथ ट्रेकिंग पर भी जाता हूं। साइकलिंग तो रेगुलर करता ही हूं तो अब पचमढ़ी में होने जा रही मानसून मैराथन में 21 किमी की रनिंग करूंगा। -डॉ. गौरव शर्मा, एनॉटमी विभाग, जीएमसी

ब्रेक डांस और स्पोर्ट्स जिंदगी का हिस्सा

जीएमसी में पढ़ाई के दौरान मैंने फुटबॉल टीम में बतौर कैप्टन टीम का प्रतिनिधित्व किया। मैं वॉलीबॉल, क्रिकेट और बैडमिंटन भी खेलता हूं। जब मैंने ऋतिक रोशन की कहो न प्यार है, मूवी देखी तभी से मैंने ब्रेक डांस करना शुरू किया। इस प्रोफेशन में जिंदगी बचाने की जवाबदेही है तो सोच सकते हैं कि एक डॉक्टर पर कितना भार रहता है। मैं बैडमिंटन खेलकर 1 घंटे के लिए सब कुछ भूल जाता हूं और अपनी एकाग्रता को बढ़ा पाता हूं जो कि प्रोफेशन के लिए जरूरी है। -डॉ. सचेत सक्सेना, डीएम आॅन्कोलॉजी