पारिवारिक कारणों से काउंसलिंग के बाद भी पति-पत्नी में फिर हो रहे विवाद
इंदौर। पारिवारिक विवाद के चलते महिला और पुरुष के बीच टकराव तलाक का कारण बन रहे हैं। ऐसे मामलों पर फैसला देने से पहले कोर्ट परिवार न टूटे ऐसा प्रयास करती है, जिसके लिए परिवार परामर्श केंद्र पर दोनों पक्षों को भेजा जाता है। यहां काउंसलिंग कर परिवार को जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। कोरोना के बाद कुछ ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जिसमें पति-पत्नी समझौता कर घर तो जा रहे हैं, लेकिन आपसी टकराव के कारण विवाद की स्थिति बन रही है, जिन्हें पुन: काउंसलिंग कर सुलझाया जा रहा है। अधिकांश मामलों में महिला स्वयं की जिम्मेदारी को समझना नहीं चाह रही है।
काउंसलर गिरिजा त्रिपाठी का कहना है कि पति-पत्नी दोनों एकदूसरे के पूरक हैं। दोनों को एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए। अधिकांश पति- पत्नी एक-दूसरे से लंबे समय से अलग रह रहे हैं। ऐसे में जब वह समझौते के बाद फिर से एक साथ रहते हैं तो किसी दूसरे या परिवार की बात में आकर एक-दूसरे से विवाद कर बैठते हैं। वहीं कई महिलाएं नौकरी कर रही हैं और ज्वाइंट फैमिली के कारण काम की जिम्मेदारी बढ़ने से विवाद की स्थिति बन जाती है। ऐसे मामलों की जानकारी मिलने पर समय-समय पर उन्हें बुलाकर फिर से समझाइश दी जा रही है।
दो साल से अलग रहे आरती और राजेश (परिवर्तित नाम) की काउंसलिंग की गई थी। दोनों ने एक-दूसरे से मानस म्मान और पारिवारिक जिम्मेदारी का वादा कर फिर से एक साथ रहने का वादा किया था, लेकिन काउंसलिंग के कुछ माह बाद फिर से राजेश द्वारा आरती के साथ दुर्व्यवहार की शिकायत सामने आने पर उन्हें समझाइश दी गई, जिस पर राजेश ने घटना की पुनरावृत्ति नहीं होगी ऐसा वादा किया है।
एक-दूसरे को समझें
पति-पत्नी को एक-दूसरे को समझने का प्रयास करना चाहिए। दूसरों की बातों में नहीं आना चाहिए। स्वविवेक इस्तेमाल करें। टकराव की स्थिति पर काउंसलर और मनोचिकित्सक से सलाह लेना चाहिए। दोनों को अपनी जिम्मेदारी समझना चाहिए। खुद के साथ परिवार व बच्चों के बारे में सोचना चाहिए। -डॉ. वीएस पाल, एचओडी, एमवाय मनोचिकित्सा विभाग