तिलहरी के विस्थापित : जिनकी जमीन से निकल रही पाइप लाइन उन्हें ही नहीं मिल रहा नर्मदा जल

तिलहरी के विस्थापित : जिनकी जमीन से निकल रही पाइप लाइन उन्हें ही नहीं मिल रहा नर्मदा जल

जबलपुर। मदनमहल की पहाड़ी से हटाकर तिलहरी में बसाए गए 12 सौ परिवार आज भी नर्मदा जल के लिए तरस रहे हैं। इनके लिए यहां 3 बोरिंग खुदवाए गए हैं जिनमें से एक या दो हमेशा खराब होते हैं। हैरानी इस बात की है कि बस्ती के पास ही उच्चस्तरीय नई पानी की टंकी बनी हुई है जिसका पानी बस्ती से होकर पाइप लाइनों के माध्यम से गुजरता है। कई बार बस्ती वासी जल विभाग से कनेक्शन मांग चुके हैं मगर इन्हें कनेक्शन नहीं मिलते हैं।

विस्थापित बस्ती की आबादी करीब 5 हजार है। यहां पेयजल संकट आए दिन बना रहता है। यहां की घटिया गुणवत्ता की मोटर आए दिन खराब होती रहती हैं। जिन्हें बनने में महीनों लगा दिए जाते हैं। ऐसे में बाकी बचे 2 बोर से ही इतनी बड़ी आबादी अपनी प्यास बुझाती है और निस्तार के लिए पानी लेती है। बोरिंग का पानी मीठा न होने से इसे पीने में भी लोगों को दिक्कत होती है। यहां से नर्मदा नदी भी करीब ही है मगर इतनी भी करीब नहीं है कि लोग वहां जाकर अपने लिए पानी ला सकें।

सार्वजनिक परिवहन नहीं

बसने के 6 साल बाद भी इस बस्ती के लोगों को सार्वजनिक परिवहन मुहैया नहीं हो पाया है,जबकि तत्कालीन कलेक्टर छवि भारद्वाज ने यहां के लोगों को आश्वस्त किया था कि शहर से मेट्रो सेवा से तिलहरी को जोड़ा जाएगा। यहां ज्यादातर मजदूर पेशा लोग ही निवास करते हैं जिन्हें अपने काम के लिए शहर आने में 15 किमी तक का सफर अपने साधनों से तय करना होता है। मूलभूत सुविधाएं भी अभी तक पूरी तरह से उपलब्ध नहीं करवाई गई हैं।