हाथ-पैरों से दिव्यांग रेशमा और धर्मदास बनेंगे एक-दूजे की ताकत
इंदौर। कहते हैं ऊपर वाला जोड़ी बनाकर भेजता है। दरअसल, टीकमगढ़ जिले के धर्मदास पाल का विवाह 400 किमी दूर धार की रेशमा परमार से तय हुआ। यह विवाह खास है, क्योंकि ये दोनों ही दिव्यांग होने के साथ आर्थिक रूप से कमजोर भी हैं। धर्मदास के दोनों हाथ नहीं हैं और रेशमा अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो सकती। फिर भी दोनों ने एक-दूसरे को पसंद कर एक साथ जीवन बिताने का संकल्प लिया है। उनका विवाह 29 नवंबर को शहर में वैदिक रीति-रिवाज से होगा। धार की रेशमा (31) के परिवार में कोई नहीं हैं।
गांव के ही एक व्यक्ति ने दिव्यांगों का विवाह करवाने वाले स्थानीय आयोजक को बताया था कि उनकी भतीजी दिव्यांग है और वह पैरों से चल नहीं पाती है। इस विवाह समारोह के आयोजक किशन सिंह चौहान हेड कांस्टेबल इंदौर ने उस व्यक्ति को टीकमगढ़ के दिव्यांग धर्मदास के बारे में बताया कि एक लड़का है धर्मदास, जिसके हाथ नहीं है। वह अपना पैरों से काम करता है। आयोजकों ने दोनों को आपस में मिलवाकर बातचीत कराई, जिसके बाद दोनों ने एक-दूजे का बनने का संकल्प लिया।
एमपी ऑनलाइन पर काम करता है दूल्हा
चौहान बताते हैं कि यकीनन ईश्वर ने यह अनोखी जोड़ी बनाई है। दूल्हा धर्मदास एमपी ऑनलाइन पर 12 वर्ष से काम कर रहा है। वह अपने पैरों की मदद से ही कम्प्यूटर चलाता है। रेशमा से विवाह होने पर दोनों एक-दूसरे के पर्याय साबित होंगे। चौहान ने आशीर्वाद देते हुए रेशमा को शादी के लिए लहंगा और धर्मदास को सूट भेंट किया। दोनों अपने परिचितों के साथ 28 को इंदौर आएंगे और वैदिक रीति-रिवाज से विवाह संपन्न होगा।