70 आउट फाल से कान्ह और सरस्वती में मिल रहा गंदा पानी, बंद करने के निर्देश

70 आउट फाल से कान्ह और सरस्वती में मिल रहा गंदा पानी, बंद करने के निर्देश

इंदौर। शहर की कान्ह और सरस्वती नदी को साफ करने की कवायद पिछले 23 सालों की जा रही है, लेकिन निगम को सफलता नहीं मिली है। केन्द्र और राज्य शासन के अलग- अलग प्रोजेक्ट के माध्यम से नदी को साफ करने के कई प्रयास किए जिसमें करोड़ों रुपए खर्च किए जा चुके हैं। बीते सालों में नदी में गंदा पानी नहीं मिले इसके लिए सीवरेज पानी डायवर्ट करने के लिए नदी किनारे लाइन डाली गई, जिसके एसटीपी प्लांट बनाए, सीवरेज वाटर को एसटीपी प्लांट तक लाने के लिए 350 किलोमीटर लाइन डाली गई। साल 2018 में एसटीपी बनाए गए और 5 हजार से अधिक आउटफाल टेप किए गए, इसके बावजूद नदी साफ नहीं हो सकी। राज्य सरकार एक बार फिर सिंहस्थ के लिए नदी को साफ करने के प्रयास में जुट गई।

दो साल पहले उज्जैन के साधु-संतों ने शिप्रा को गंदी करने का जिम्मेदार कान्ह नदी को बताया था, लेकिन उन्हें यह कहते शांत किया गया था कि सिंहस्थ से पहले शिप्रा के साथ ही उसकी सहायक नदियां कान्ह और सरस्वती को साफ किया जाएगा। इसी दिशा में कदम बढ़ाते हुए कलेक्टर आशीष सिंह द्वारा नदी में मिलने वाले सीवरेज आउट फाल्स का सर्वे करवाया गया, जिसमें सामने आया कि कान्ह और सरस्वती नदी पर छोटे-बढ़े कुल 70 सीवरेज फाल्स खुले हैं, जिसको बंद करवाने के निर्देश कलेक्टर आशीष सिंह ने दी है।

नदी के जल भराव क्षेत्र में अभी भी हैं कब्जे

निगम द्वारा किए गए सर्वे में सामने आया कि नदी में सीवरेज के पानी, प्लास्टिक कचरा, आउट फाल्स मिलने, गाद की सफाई नहीं होने, ट्रीटेड वाटर नहीं छोड़े जाने, अतिक्रमण नहीं हटाए जाने, नदी के आसपास बड़ी संख्या में कब्जे और बस्तियां सालों से कायम रहने, साथ ही नदी के जल भराव क्षेत्र के 30 मीटर के दायरे से नदी को कर्बला ब्रिज, मच्छी बाजार से कब्जे बने हुए। यहां रिवर फ्रंट योजना के तहत रहवासियों को पीएम आवास के फ्लैट शिफ्ट किया जाना चाहिए था, लेकिन इस काम नहीं किया गया।

शासन की टीम के सुझाव पर होगी नदी सफाई

कलेक्टर सिंह ने बताया कि 6 साल पहले नदी को साफ करने के लिए बनाई योजना पर काम करते हुए इंदौर नगर निगम सीमा के पांच हजार सीवरेज आउट फॉल बंद किए थे। नगर निगम द्वारा अब पुन: 2024 में सर्वे करने पर पाया गया 70 आउटफाल खुल चुके, जिसको बंद करना होगा। कलेक्टर सिंह ने कहा 2027 के पहले शिप्रा नदी को साफ करना है, इस लक्ष्य के अनुसार काम किया जा रहा है। सीएम डॉ. मोहन यादव की भी यही मंशा है कि शिप्रा और उसकी सहायक नदियां साफ रहे। जलस्रोत प्रदूषण मुक्त रहे ,इसके प्रयास निरंतर जारी रहना चाहिए। राज्य शासन से हमने विशेषज्ञों की टीम मांगी, जो नदी सफाई के काम का सुपरविजन करने के साथ उचित सुधार एवं सुझाव भी देगी।

केंद्र सरकार कर सकती है आर्थिक मदद

उज्जैन में शिप्रा नदी के साथ ही कान्ह और सरस्वती नदी की सफाई के लिए केन्द्र व राज्य सरकार सहायता प्रदान कर सकती है। उम्मीद की जा रही है, उक्त प्रोजेक्ट पर निगम को 600 करोड़ रुपए मिल सकते हैं, जो नदी सफाई पर लगातार खर्च होंगे, क्योंकि केन्द्र सरकार और राज्य शासन दोनों ही शिप्रा को 2027 तक साफ करना चाहते हैं।

हरसिद्धि गार्डन के पास भी है आउट फाल

नगर निगम ने हरसिध्दि क्षेत्र में रिवर फ्रंट प्रोजेक्टके तहत शेखर नगर बस्ती के रहवासियों को शिफ्ट किया था । यहां 2019 में गार्डन बनाया गया। इस क्षेत्र में सरस्वती नदी है। गार्डन के पास ही एसटीपी प्लांट है। इस क्षेत्र में आउट फाल खुला है। हाथीपाला, मच्छी बाजार, आजाद नगर क्षेत्र में भी गंदा पानी नदी में मिल रहा है।