ग्रीष्म अवकाश के बाद भी नहीं सुधारे जा रहे जर्जर स्कूल भवन

ग्रीष्म अवकाश के बाद भी नहीं सुधारे जा रहे जर्जर स्कूल भवन

जबलपुर। अगले माह से ग्रीष्मकालीन अवकाश खत्म हो जाएंगे। इसके बाद भी मई माह खत्म होने को है लेकिन शासकीय स्कूलों में मरम्मत का कार्य शुरू नहीं हो पाया है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों से लगीं प्राथमिक व माध्यमिक शालाओं में एक तरफ जहां छत जर्जर हो गईं हैं वहीं दरवाजे और खिड़की तक टूट रहे हैं। यही नहीं कमरों के फर्श तक उधड़ चुके हैं। ऐसे में बच्चे स्कूलों के जर्जर भवन में पढ़ने के लिए मजबूर हैं। स्कूलों के खस्ताहाल भवनों को देख अभिभावक भी बच्चों को स्कूल भेजने से कतरा रहे हैं। कई स्कूलों में तो बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करने पर मजबूर हैं।

गौरतलब है कि जिले में दो- चार नहीं बल्कि दर्जनों की संख्या में स्कूल ऐसे हैं, जिनमें नौनिहाल खतरों के बीच पढ़ने के लिए मजबूर हैं। किसी की छत जर्जर है, तो किसी का छज्जा उड़ चुका है। अभिभावकों की मानें तो पिछले कई वर्षों से शालाओं में रंग-रोगन तक नहीं कराया गया है। छतों से बारिश में पानी टपकने के कारण सीलिंग से धपड़े उखड़ रहे हैं। हालांकि ज्यादातर पुरानी बिल्डिंगे हैं और छप्पर वाले छत हैं लेकिन कई जगह छप्पर टूट चुके हैं।

एक कक्ष में दो क्लासें

कई स्कूलों में छात्रों की कमी का बहाना बनाकर एक ही कक्ष में दो-दो क्लासें लग रहीं हैं। वास्तविक बात यह है कि जर्जर कमरों में शिक्षक भी बच्चों को अध्यापन कराने में असहज महसूस कर रहे हैं। पिछले सत्र में कई हादसे भी हो चुके हैं। बावजूद इसके जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहे हैं। जिले में कई ऐसे स्कूल देखने को मिलेंगे जिनकी हालत दयनीय है वह देखरेख एवं मरम्मत के अभाव के चलते जर्जर हालत में पहुंच गये हैं।

बारिश में होगी मुसीबत

अभिवावकों का कहना है कि स्कूलों की जर्जर हालत की शिकायत स्कूल खुलने के पहले जिन स्कूलों की बिल्डिंगों में सुधार की जरूरत है उसे प्राथमिकता के साथ सुधारा जाना चाहिए। क्योंकि जब स्कूल खुलेंगे तो यदि विद्यालयों की हालत जर्जर रही तो बारिश के पानी से और अधिक नुकसान हो सकता है बिल्डिंग कमजोर होने की वजह से धराशाई हो सकती है, जिससे बच्चों और शिक्षकों की जान जोखिम में हो सकती है, और बड़ा हादसा हो सकता है।

मैंने डीईओ, डीपीसी और जिला प्रशासन को जर्जर स्कूलों के फोटोग्राफ्स के साथ पत्र भेजा है। जिले के जिला शिक्षा केन्द्र के द्वारा मरम्मत कार्य अतिशीघ्र किए जाने चाहिए, अन्यथा बड़े हादसे की संभावना है। -राबर्ट मार्टिन, जिलाध्यक्ष मप्र जागरूक अधिकारी-कर्मचारी संगठन