तीन साल में बढ़े डायलिसिस के 700 मरीज

तीन साल में बढ़े डायलिसिस के 700 मरीज

इंदौर। डायलिसिस के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। 2019- 2020 में जहां सरकारी और निजी अस्पताल में 1200 से 1300 मरीज का डायलिसिस हो रहा था, अब इसकी संख्या बढ़कर 2000 के पार हो गई है। बदलती लाइफ स्टाइल के चलते कम उम्र में लोग डायबिटीज, हाइपोटेंशन का शिकार हो रहे हैं, जिसका सीधा असर किडनी पर पड़ रहा है। वहीं जागरूकता के चलते शहर के अलावा आसपास के जिले से भी लोग डायलिसिस करने के लिए इंदौर आ रहे हैं। लाल अस्पताल और एमवाय अस्पताल में नि:शुल्क डायलिसिस हो रही है। वहीं महावीर जैन और खजराना स्थित सेंटर में गरीब मरीजों की कम राशि लेकर डायलिसिस होती है। वहीं, निजी अस्पताल में 1400 से लेकर 2000 रुपए तक डायलिसिस के लिए जाते हैं।

कम उम्र के मरीज भी आ रहे डायलिसिस के लिए

बिगड़ती लाइफस्टाइल, जंक फूड के चलते कम उम्र के लोगों को डायलिसिस की आवश्यकता पड़ रही है। 20से 25 साल के युवा को डाय्लिसिस की आवश्यकता पड़ सकती है। इसका प्रमुख कारण यह है कि व्यक्ति की दिनचर्या में परिवर्तन आया है। घूमनाफिर ना बंद हो गया है, मोबाइल का अत्यधिक प्रयोग, दिनभर पलंग पर बैठाना सहित कई अन्य कारण हैं, जिसके चलते मोटापा,कोलेस्ट्राल, डायबिटीज जैसी बीमार का शिकार हो रहे हैं। जागरूकता की कमी और भ्रम के चलते वे समय पर इलाज नहीं कराते हैं, जिसके चलते किडनी की बीमारी का शिकार होते हैं जिसके कारण डायलिसिस की आवश्यकता पड़ती है। आयुष्मान कार्ड के चलते डायलिसिस आसान हो गया है।इस कारण भी मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।

पेन किलर से बचें

एमवाय अस्पताल के किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ. शिवशंकर शर्मा ने बताया कि किडनी के रोग के कारण डायलिसिस के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। कई बार लाइफ स्टाइल के अलावा पेनकिलर का अत्यधिक प्रयोग के चलते किडनी पर असर पड़ता है। कोल्डड्रिंक भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है।

हर माह कहां कितने मरीज

  • कहां कितने मरीज आते हैं डायलिसिस के लिए
  • शहर में हर माह 40 से 60 मरीज डायलिसिस
  • हर माह लगभग 300 मरीज प्रतिमाह पहुंचे रहे
  • लाल अस्पताल में औसतन 300 मरीज
  • खजराना स्थित नर्सिंग होम में हर माह 850
  • महावीर सेवा ट्रस्ट में हर माह 300 मरीज