तंगहाली में भी 600 करोड़ के विकास कार्य

तंगहाली में भी 600 करोड़ के विकास कार्य

जबलपुर। 2023 में भले ही नगर निगम भीषण आर्थिक संकट से जूझता रहा हो मगर महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू और निगमायुक्त स्वप्निल वानखेड़े की प्लानिंग की तारीफ करनी होगी जिन्होंने शहर में 600 करोड़ रुपए के विकास कार्य चालू करवा लिए हैं। इस राशि में से आधे से ज्यादा के तो काम हो भी चुके हैं। वहीं नगर सत्ता की इन दोनों की जुगलबंदी ने कई नवाचार भी किए जो प्रदेश से लेकर देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर तक तारीफ पा चुके हैं।

शहर वासियों की सबसे बड़ी जरूरत अच्छी सड़कों की थी जिसमें करीब 250 करोड़ रुपए खर्च किए गए और शहर की ज्यादातर सड़कों की दशा बदल दी गई है। इनमें से कुछ सड़कें तो अपनी विलंबता के चलते नगर निगम के लिए मजाक बन चुकी थीं। ऐसी ही एक सड़क मदनमहल से गंगासागर तक की थी जो अब पूर्णता पर है।रानीताल से गढ़ा रोड जो कि गुलौआ होते हुए गौतम मढ़िया से लेकर पंडा मढ़िया तक फोरलेन स्वरूप में बन चुकी है। इसके अलावा सैकड़ों छोटी-बड़ी सड़कों में डामरीकरण करवाया गया है। इन ढाई अरब में सड़क निर्माण से लेकर नाली निर्माण,अन्य अधोसंरचनाएं, जलविभाग में संसाधन विस्तार के काम भी शामिल हैं।

हर घर को नर्मदा जल

शहर के हर घर तक नर्मदा जल पहुंचाने के लिए महापौर ने अमृत फेस टू में 282 करोड़ स्वीकृत करवा लिए हैं जिनके टेंडर 2 या3 जनवरी को होने हैं। इस योजना के तहत जलप्रदाय योजना का विस्तारीकरण कर हर घर तक नर्मदा जल पहुंचने लगेगा। वर्तमान में 1 लाख से अधिक ऐसे परिवार हैं जिन्हें आज भी नर्मदा जल नहीं मिलता।

सफाई व्यवस्था को सुदृढ़ किया

शहर की सफाई व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए 1हजार कर्मचारी बढ़ाए गए। रात्रिकालीन सफाई व्यवस्था नियमित कराई गई जिसके लिए 257 सफाई कर्मी रखे गए। वहीं जेसीबी,स्वीपिंग मशीन जो कि पहले किराए पर बुलाई जाती रही हैं को खरीदकर नगर निगम की संपत्ति बनाकर संसाधनों में बढ़ोत्तरी की गई।

इन नवाचारों से पाई तारीफ

महापौर श्री अन्नू ने नगर निगम के स्कूलों की दशा व दिशा ही बदल कर रख दी है। यहां के प्रतिभाशाली छात्रों को अपने वादे के अन ुसार हवाई यात्रा करवाई गई। स्कूलों में अध्यापन हाईटेक करवाया गया। उन्होंने मेयर हेल्पलाइन भी चालू करवाई जो सीएम हेल्पलाइन की तर्ज पर काम करती है। इसी तरह निगमायुक्त स्वप्निल वानखेड़े ने कबाड़ से जुगाड़ प्रोजेक्ट के तहत कबाड़ हो चुकी बसों को पुस्तकालय,चेंजिंग रूम आदि बनाए जिनके प्रजेंटेशन वे लंदन तक देकर आए हैं और व्यापक सराहना पा चुके हैं।