अपराधियों को कानून के गिरफ्त में लाने में कारगर है डेंटल फॉरेंसिक्स
जबलपुर। डेंटल फोरेंसिक्स ने कई अपराधिक मामलों में अपराधियों को न्याय के कटघरे में खड़ा किया है। दंत चिकित्सा अपने फोरेंसिक नोलेज और विशेषज्ञता के साथ बलात्कार के मामलों में पीड़ितों और अपराधियों के जले हुए शरीर या अग्नि दुर्घटनाओं में मृतक की पहचान कराने में कारगार साबित हो रहे हैं। उक्त बातें हितकारिणी दंत चिकित्सा महाविद्यालय और अस्पताल के ओरल पैथोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी एवं पब्लिक हेल्थ डेंटिस्ट्री विभाग द्वारा आयोजित डेंटल फोरेंसिक्स बेसिक्स एंड बियोंड विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में कर्नाटक के एसडीएम कॉलेज ऑफ डेंटल साइंस के डेंटल फॉरेंसिक विभाग के संस्थापक और विभागाध्यक्ष डॉ. आशित बी. आचार्य ने कही। गौरतलब है कि वर्ष 2012 में नई दिल्ली के निर्भया मामले में पीड़िता के शरीर में अपराधियों के दांतों से काटने के निशान की डॉ. आचार्य की जांच रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट ने मान्यता दी थी, जो अपराधियों को पकड़ने में एक साक्ष्य बने थे।
वैज्ञानिक प्रमाण बताए
नेताजी सुभाषचंद बोस मेडिकल कॉलेज के बाल चिकित्सा सर्जरी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. हिमांशु आचार्य ने मृत्यु के बाद जीवन के वैज्ञानिक प्रमाण पर रोचक संदर्भ प्रस्तुत किए। वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष दत्त ने फॉरेंसिक साइंस के कानूनी पहलुओं पर चर्चा की। वरिष्ठ दंत चिकित्सक डॉ. राजेश धीरावाणी ने कहा कि राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्देश्य फोरेंसिक डेंटिस्ट्री और विभिन्न दंत विभागों के बीच संबंध को उजागर करके, इसके मूलभूत सिद्धांतों और दंत स्नातक छात्रों के बीच जागरूकता बढ़ाकर उन्हें फोरेंसिक ओडोंटोलॉजी में संभावित करियर के बारे में जानकारी देना था।
ये रहे उपस्थित
इस अवसर पर हितकारिणी सभा के सभापति प महाविद्यालय के अध्यक्ष राजेश अग्रवाल, डायरेक्टर डॉ. राजेश धीरावाणी, आरके श्रीवास्तव, संयुक्त सचिव मुकुल खंपरिया, संदीप गोलछा सचिव डॉ. निष्कर्ष जैसवाल। डीन डॉ. रोहित मिश्रा, रजिस्ट्रार जय केशवानी, आयोजन अध्यक्ष डॉ. सोनालिका घाटे, सचिव डॉ. निहारिका बेंजामिन, डॉ. आनंदा राज गोस्वामी, डॉ. अंकित अग्रवाल, डॉ. सिद्धि हाथीवाला, डॉ.अविनाश बोस और डॉ. साक्षी चनेवार उपस्थित रहे।