शादी में ड्रेस से मैच करते डेंटल डायमंड और लगाए जा रहे अल्ट्रा थिन थिनियर्स
एक समय था, जब लोग कॉस्मेटिक डेंटिस्ट्री को फिजूलखर्ची मानते थे लेकिन जब हर चीज डिजाइनर और बेहतरी की तरफ बढ़ रही है तो लोग अब अपने मुस्कान और दांतों को भी व्यवस्थित रूप में देखना चाहते हैं, जिसके लिए दांतों की मामूली टूट-फूट को भी ठीक कराना चाहते हैं और आड़े-तिरछे दांतों को क्रमबद्ध दिखाने के लिए मेटल या सिरेमिक के नहीं बल्कि ट्रांसपरेंट अलाइनर्स लगवा पसंद कर रहे हैं जिसके लिए वे 1.50 लाख से 3 लाख रुपए तक खर्च कर रहे हैं। भोपाल में कॉस्मेटिक डेंटिस्ट्री के लिए जर्मनी, यूके और यूएस तक से लोग आते हैं क्योंकि यही ट्रीटमेंट विदेश में ज्यादा महंगा होता है। अब दांतों को दाग-धब्बे रहित दिखाना हो या दांतों की टूट-फूट को ठीक करना हो, इसके लिए भी अब डेंटल वीनियर्स और उससे भी महीन यानी अल्ट्रा थिन थिनियर्स आ रहे हैं जिनकी महीन सी परत से दांत चमकदार लगने लगते हैं।
कॉस्मेटिक ट्रीटमेंट 14 साल की उम्र के बाद कराना ठीक
कॉस्मेटिक डेंटिस्ट्री में आ रहे बदलाव अब लोगों को खुलकर मुस्कुराने का मौका दे रहे हैं। 14 साल की उम्र के बाद इस तरह के ट्रीटमेंट डॉक्टर्स सजेस्ट करते हैं क्योंकि तक तक दांत परिपक्व अवस्था में आ जाते हैं। डेंटिस्ट्स के मुताबिक स्टूडेंट्स से लेकर वर्किंग प्रोफेशनल सभी इसमें रुचि दिखा रहे हैं।
सेल्फ कॉन्फिडेंस बढ़ाने में मदद मिलती है
कॉस्मेटिक डेंटिस्ट्री की वजह से कई लोगों का सेल्फ कॉन्फिडेंस को बढ़ता है क्योंकि यह उन्हें अच्छा दिखने में मदद करती है। अब मेटल और सिरेमिक ब्रेसेस नहीं बल्कि ट्रांसपरेंट अलाइनर्स लाए जाते हैं जिन्हें लगाने के बाद पता नहीं चलता कि दांतों के आड़े-तिरछेपन को ठीक करने के लिए कुछ लगा है या नहीं। अब पहले की तरह मेटल वायर से दांत बंधे नहीं होते बल्कि अब 14 अलनाइर्स का सेट पेशेंट को दिया जाता है जो कि डिजिटल मेजरमेंट के बाद तैयार होते हैं। यह एक बार 40 दिन के लिए डॉक्टर लगा देता है जिसके बाद बाकी के 13 सेट मरीज खुद 40-40 दिन के अंतराल के बाद बदलता है और हर स्टेज पर दांत अंदर की तरफ सेट होता है तो सेट भी उसी तरह डिजाइन रहता है। वहीं शादी के पहले लड़के-लड़कियां अपनी ड्रेस से मैच करते हुए डेंटल डायमंड दांतों में लगवाते हैं ताकि उनकी मुस्कान में चमक जुड़ जाए। -डॉ. हरप्रीत सहगल, डेंटिस्ट
अब लेजर टेक्निक से कर रहे गम ट्रीटमेंट
दांतों का ओवरलेप होना पहले समस्या होती थी लेकिन अब इसे शेपिंग व थिनियर्स से कवर करके ठीक कर देते हैं। वहीं अब एडवांस इम्प्लांट आने लगे हैं जिसमें दांत खराब हो जाने पर नया दांत हड्डी में स्क्रू की मदद से सेट कर दिया जाता है। यानी मिसिंग टीथ अब समस्या नहीं रहे। अब दांतों के गम (मसूड़े) लेजर ट्रीटमेंट से ठीक हो रहे हैं। -डॉ. प्रतिमा वाजपेयी, डेंटिस्ट