जीआरएमसी के डॉक्टरों की मांग- दो साल बाद डीन-अधीक्षक भी हों रोटेट

जीआरएमसी के डॉक्टरों की मांग- दो साल बाद डीन-अधीक्षक भी हों रोटेट

ग्वालियर। जीआरएमसी में अब दो साल में विभागाध्यक्ष बदलने की रोटेशन प्रणाली के बाद अब प्रशासनिक पद कॉलेज के डीन एवं जेएएच समूह के अधीक्षक को भी विभागाध्यक्ष की तरह बदलने यानि की रोटेट करने की मांग उठने लगी है। कॉलेज के कुछ डॉक्टरों ने इसकी मांग शुरू कर दी है, उनका कहना है कि जब विभागाध्यक्षों को दो साल के लिए मौके दिया जा सकता है तो फिर अन्य डॉक्टरों को भी दो सालों के लिए डीन व अधीक्षक की कुर्सी संभालने का अवसर मिलना चाहिए, इसको लेकर भोपाल तक मांग की जा रही है। वहीं दूसरी ओर जीआरएमसी में पदस्थ समयबद्ध प्रमोशन पाने वाले डॉक्टरों का गुस्सा अभी शांत नहीं हुआ है, क्योंकि विभागाध्यक्ष की रोटेशन के मामले में इनको शामिल नहीं किया गया है, जिसकी वजह से कुछ डॉक्टर चाहकर भी इस रोटेशन प्रणाली में विभिन्न विभागों में विभागाध्यक्ष नहीं बन पाए।

स्थाई नहीं प्रभारी हैं डीन और अधीक्षक

जीआर मेडिकल कॉलेज के वर्तमान डीन डॉ. अक्षय निगम एवं जेएएच समूह में वर्तमान अधीक्षक का पदभार संभाल रहे डॉ. आरकेएस धाकड़ की नियुक्ति स्थाई नहीं है। सूत्रों की माने तो इन्हें प्रभार दिया गया है। डीन डॉ. अक्षय निगम ने 17 जुलाई 2022 को पदभार संभाला तो अधीक्षक को तीन साल से अधिक का समय इस कुर्सी पर हो चुका है।

एनएमसी में काउंट होते हैं डॉक्टर

जीआरएमसी में हाल ही में विभिन्न विभागों के सात डॉक्टरों को डेजिग्नेट प्रोफेसर बनाया गया है, इनका कहना है कि हमें विभागाध्यक्षों रोटेशन प्रणाली तक में काउंट नहीं किया जाता है, जबकि नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) में इनकी काउंंिटग कराई जाती है तो प्रबंधन इस प्रकार का दोहरा रवैया अपना रहा है। इसी का विरोध किया जा रहा है।

रोटेशन प्रणाली में समयबद्ध प्रोफेसर को शामिल किया जाना चाहिए, यही हम लोगों की मांग है। इसके साथ ही जिस प्रकार शासन दो साल के लिए प्रोफेसर को रोटेट करने का निर्णय लिया है, उसी प्रकार कॉलेज के डीन एवं जेएएच समूह के अधीक्षक को भी दो साल बाद बदलना चाहिए। -डॉ. सुनील अग्रवाल, प्रदेश अध्यक्ष प्रोग्रेसिव मेडिकल टीचर्स एसो. मप्र