फेब्रिक स्क्रैप और जरी-जरदोजी से बनी राखियों की यूएस व दुबई में मांग
राखी के त्योहार में भले ही पूरा एक महीना बाकी है, लेकिन शहर में हैंडमेड राखियों को बनाने का काम शुरू हो चुका है। इतना ही नहीं भोपाल की बनीं राखियां यूएस के न्यूजर्सी और दुबई तक जा रही हैं। कुछ राखियां अपनी सस्टेनेबिलिटी के फीचर के कारण विदेश में पसंद की जा रहीं हैं तो कुछ भोपाल की खास जरीजरदोजी के कारण पसंद की जा रहीं हैं। वहीं रेजिन आर्ट इन दिनों काफी ज्यादा ट्रेंड में है, जिसे लेकर भी राखियां बनाईं जा रहीं हैं। भोपाल में फेब्रिक स्क्रैप से बनी राखियों को ब्रांड्स अपनी शॉपिंग वेबसाइट्स के माध्यम से बिक्री के लिए उपलब्ध करा रहे हैं, जिसमें फूल, मछली, टेडी, तितली जैसे डिजाइन्स तैयार किए गए हैं तो किसी राखी में रेजिन आर्ट की मदद से भाई की राखी के भीतर अक्षत, कुमकुम और उसकी तस्वीर को सेट किया जा रहा है। इस तरह की राखी को सहेजा जा सकता है।
जरी-जरदोजी और कुंदन का काम
वुमन एम्पावरमेंट एंड एजुकेशन सोसाइटी की महिलाएं ऐसी राखी बना रही हैं, जिस पर भोपाल के जरी-जरदोजी के काम को देखा जा सकता है। इन राखियों के आॅर्डर दुबई से भी आएं हैं, साथ ही इनके ऊपर कुंदन वर्क भी किया गया है। रख्शां जाहिद, वीज संस्था
बुटिक से निकले स्क्रैप से राखी
हमारी राखी की खासियत सस्टेनेबिलिटी है क्योंकि हम बुटिक से निकलने वाले फेब्रिक स्कैप से राखी तैयार करके पर्यावरण को भी सुरक्षित करते हैं। जब यूएस के न्यूजर्सी में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों ने इन्हें मेरे सोशल मीडिया पर देखा तो उन्होंने हमें राखी का आॅर्डर दिया जो हम उन्हें डिलेवर कर चुके हैं। 30 महिलाएं हमारे साथ यह राखी बना रहीं हैं। पूजा आयंगर, एमएसके
अक्षत-कुमकुम राखी के अंदर
मैं रेजिन आर्ट राखी बना रही हूं क्योंकि इसमें भाई के लिए भेजे जाने वाले अक्षत व कुमकुम सहित फूलों को सेट करके उन्हें प्रिजर्व किया जाता है। कुछ फोटो राखी भी तैयार हो रही हैं जिसमें राखी पर भाई या भाई-बहन का फोटो या मैसेज होता है। मेघा खरे, राखी डिजाइनर