भूखंड आवंटन में 8 करोड़ की राजस्व हानि पर हुई जांच कराने की मांग, फाइलें गायब
ग्वालियर। ग्वालियर विकास प्राधिकरण (जीडीए) में प्रशासनिक फेरबदल होते ही घोटालों की परते उधड़ने के लिए पूर्व डायरेक्टर ने मोर्चा खोल दिया है। जिसके चलते 9500 रूपए गाइडलाइन की जमीन लेकर 24 हजार प्रतिवर्ग वर्गमीटर वाली जमीन देने पर 8 करोड़ की राजस्व हानि के मामले में उच्च स्तरीय जांच की मांग प्राधिकरण के सीईओ विनोद भार्गव से की है। वहीं सूत्रों का कहना है कि अधिकारियों के फेरबदल होने के बाद घोटाले से जुड़ी फाइलें प्राधिकरण से नादारत बताई जा रही है।
शताब्दीपुरम योजना के तहत मैसर्स श्रीराम रियल इन्फ्रास्ट्रक्चर द्वारा ग्राम विक्रमपुर की भूमि सर्वे क्रमांक 354/2, 28/3, 354/5, 323/23, 318, 354/3, 386/1, 382, 338/2, 338/1, 338/2, 340, 345, 346 व 348 की लगभग 11 बीघा भूमि स्वामी से 26 प्रतिशत प्लाट देने के अनुबंध बाद जीडीए को मिली थी और निवर्तमान सीईओ प्रदीप शर्मा ने आदेश क्रमांक 5841 व 5842 दिनांक 15 दिसंबर 2022 से फर्म को शताब्दीपुरम फेस-4 के ए-ब्लॉक में 11गुणा18 साइज के 5544 वर्गमीटर वाले 28 व्यवसायिक भूखंड आरक्षित कर करवा दिए थे। शिकायतकर्ता व जीडीए के पूर्व डायरेक्टर गोपीलाल भारतीय द्वारा शिकायत में आवंटित व्यवसायिक भूखंडो की प्रतिवर्ग मीटर 24000 रूपए व सरेंडर की जमीन की कीमत 9500 रूपये प्रतिवर्ग मीटर बताई है और फर्म द्वारा अतिरिक्त जमीन के लिए 24000 रूपए की गाइड लाइन की दर से प्राधिकरण में पैसे भी जमा करने की जानकारी दी गई है। साथ ही बताया है कि पूरे आवंटन प्रक्रिया में प्राधिकरण को लगभग 8 करोड़ से ज्यादा की चपत लगी है।
टीएंडसीपी द्वारा लगाई रेरा-पर्यावरण की शर्त को उड़ाया हवा में
टीएंडसीपी के नए संयुक्त संचालक को शिकायत में शताब्दीपुरम फेज-4 योजना में नक्शा स्वीकृति करते हुए किसी व्यक्ति/संस्था को भूमि समर्पण के बाद भूखंड देने से पहले रेरा का पंजीयन व पर्यावरण एनओसी को आवश्यक होने की शर्त होने पर कालोनाइजरों पर मेहरबान अधिकारियों ने शर्त को हवा में उड़ाकर प्लाटो को आरक्षित कराने पर जांच के लिए कहा गया है।
जीडीए के पुराने सीईओ द्वारा जमीन आवंटन में प्राधिकरण को 8 करोड़ का नुकसान पहुंचाया है। जिसकी शिकायत कर जांच की मांग की गई है। -गोपीलाल भारतीय,शिकायतकर्ता व पूर्व जीडीए डायरेक्टर