ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर डार्क पैटर्न हुए प्रतिबंधित जारी की गई गाइड लाइन
नई दिल्ली। सरकार ने उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए ई-कॉमर्स मंचों पर डार्क पैटर्न के इस्तेमाल को प्रतिबंधित कर दिया है। कंपनियां डार्क पैटर्न के जरिए ग्राहकों को धोखा देने या उनके व्यवहार और पसंद को प्रभावित करने की कोशिश करती हैं। केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण ने डार्क पैटर्न रोकथाम एवं विनियमन दिशानिर्देश के लिए अधिसूचना जारी की। यह भारत में वस्तुओं और सेवाओं की पेशकश करने वाले सभी मंचों, विज्ञापनदाताओं और विक्रेताओं पर भी लागू है। नए दिशा-निर्देशों के मुताबिक डार्क पैटर्न का सहारा लेना उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन होगा। इसे भ्रामक विज्ञापन या अनुचित व्यापार व्यवहार माना जाएगा, जिस पर जुर्माना लगेगा।
क्या हैं डार्क पैटर्न, जो प्रभावित करते हैं उपभोक्ता को
- उपभोक्ता को किसी गैर जरूरी सेवा को लेने के लिए उकसाना।
- उपभोक्ता को सब्सक्रिप्शन के जाल में फंसाना।
- ऐसी सेवाएं देना, जहां से उपभोक्ता सरलता से न निकल सके।
- जानकारी छोटे अक्षरों में देना या छुपाना।
- किसी उत्पाद की जानकारी देना और बाद में उसे बदल देना।
- उपभोक्ता से प्लेटफॉर्म फीस के लिए अलग से चार्ज करना।
- झूठी आपात स्थिति बनाना। जैसे कि उपभोक्ता को कहना यह डील अगले 1 घंटे में खत्म हो जाएगी।
- उपभोक्ता के शॉपिंग कार्ट में कोई चीज खुद डाल देना आदि।