पिता की टूटी आस पर डीएसपी बने मददगार डॉक्टर ने भगवान बनकर बचाई किशोर की जान
ग्वालियर। जिस परिवार का जवान बेटा 15 दिन बेहोश रहे, उसके इलाज के लिए पैसे ना होने पर सांसें भगवान भरोसे चलें। उस परिवार का दुख वही समझ सकता है, जिसने पहाड़ टूटने के समान दुख झेला हो। लेकिन ऐसे संकट की घड़ी में गांव का ही बेटा मददगार बने और डॉक्टर से उसका इलाज कराकर उसकी जिंदगी बचाए तो वह दोनों ही भगवान के स्वरूप होते हैं।
यह वाक्या है पन्ना जिले के देवगांव का है जहां के रहने वाले डीएसपी संतोष पटेल घाटीगांव एसडीओपी के पद पर पदस्थ हैं। जिनके गांव में पंद्रह दिन पहले आशाराम सेन का इकलौता बेटा सचिन सेन जामुन के पेड़ से गिरकर घायल हो गया था। परिजनों ने उसे आनन-फानन में पास के जिले के मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया।
लेकिन वहां डॉक्टरों ने सिर में आई इंजरी के कारण जमे क्लॉट से उसका बचना मुश्किल बताया। पैसे ना होने पर परिजन बेटे को बचाने की आस हार चुके थे, लेकिन तभी ग्रामीणों की सलाह पर गांव के अधिकारी बेटे से संपर्क करना दुखी परिवार के लिए नई रोशनी बन गया। आखिर में टेलीफोन पर हुए संपर्क के बाद एसडीओपी घाटीगांव पटेल ने घायल नौजवान को इलाज के लिए डॉ. आदित्य श्रीवास्तव की मदद से न्यूरो वार्ड में भर्ती कराया। जहां तीन दिन के इलाज के बाद जिंदगी से हार चुका सचिन हंसता हुआ डॉक्टर और पुलिस अधिकारी का आभार व्यक्त करता हुआ दिखा।
पिता बोले इंसानों में भी बसते हैं भगवान
जिस पिता ने अपने नौजवान बेटे के जिंदा रहने की आस छोड़ दी थी, इलाज के बाद जब वह अपने पैरों पर खड़ा दिखा तो पिता ने डॉक्टर और गांव में जन्मे डीएसपी को देखकर कहा कि इंसानों में भी भगवान बसते हैं।
परिजनों ने किया डॉक्टरों का आभार व्यक्त
गरीब परिवार के बेटे का इलाज कर उसे पैरों पर खड़ा करने वाले डॉक्टर और डीन डॉ. आरकेएस धाकड़ का पन्ना जिले से आए घायल के परिजनों ने आभार व्यक्त किया। जिसका मूल श्रेय परिजनों ने मप्र पुलिस के डीएसपी संतोष पटेल को दिया है।
15 दिन बेहोश रहा घायल
इस मामले में घायल नौजवान सचिन सेन पन्द्रह दिन पहले पन्ना के देवगांव में जामुन के पेड़ की टहनी टूटने से सिर के बल गिरा था। इस हादसे में दिमाग में खून का धब्बा जमने पर वह कोमा में जा चुका था, जिसे जेएएच समूह के डॉक्टरों ने अपनी निगरानी में लेकर उसका इलाज किया।