अमृत .02 में वार्ड 61 से 66 तक की डीपीआर MITS से आई, निगरानी समिति में रखेंगे
ग्वालियर। विधानसभा चुनाव से पहले ग्वालियर ग्रामीण विधानसभा के वार्ड 61 से 66 तक अमृत .02 प्रोजेक्ट की सौगात मिलने का सपना केवल सपना ही रहने वाला है, क्योंकि अभी प्रोजेक्ट को एमआईटीएस से तकनीकी स्वीकृति मिल गई है, अब इसे कलेक्टर की निगरानी में समिति से ओके करवाकर भोपाल भेजा जाएगा। हालांकि चंबल प्रोजेक्ट की 30 प्रतिशत ज्यादा राशि प्रोजेक्ट के लिए सबसे बड़ी बाधा बन सकता है।
अमृत परियोजना-2 के तहत शासन स्तर से लगभग 926 करोड़ रुपए की स्वीकृति की घोषणा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा निकाय चुनाव के दौरान की जा चुकी है और केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया जल्दी से जल्दी चंबल से पानी लाने व ग्वालियर ग्रामीण विधानसभा में पेयजल लाइनों के डाले जाने के प्रयासों के चलते पहले चरण की डीपीआर तैयार होकर आ चुकी है और इसे कलेक्टर की निगरानी समिति से स्वीकृति मिलने के बाद भोपाल तकनीकी व हाईपावर तकनीकी समिति से स्वीकृति मिलेगी, तब ग्वालियर में महापौर शोभा सिकरवार की अध्यक्षता वाली एमआईसी से स्वीकृति के बाद पेयजल लाइन डाले जाने के प्रोजेक्ट के लिए टेंडर लगाने का काम हो सकेगा। जिसके लिए जानकारों का कहना है कि पूरी प्रोसेस में कम से कम 3 महीने से ज्यादा का समय लगेगा, इसलिए विधानसभा चुनाव से पहले काम किसी भी हालत में शुरू नहीं हो सकेगा।
1200 किमी लाइनें बिछेगी 74 गांवों में
ग्वालियर ग्रामीण विधानसभा के वार्ड 61 से 66 तक होने वाले कार्य के चलते 74 गांवों को पेयजल योजना में जोड़ा जा रहा है, जिसके चलते निगम द्वारा 1200 किमी लाइनें डालने की प्लांिनग की गई है। साथ ही ग्रामीण क्षेत्र में पानी सप्लाई के लिए 71 पानी की टंकिया भी बनाई जाएंगी।
30 प्रतिशत अधिक ऑफर बनेगा सबसे बड़ी परेशानी
चंबल से पानी लाने के प्रोजेक्ट के लिए 376 करोड़ की राशि निर्धारित की गई थी, लेकिन टेंडर खोले जाने पर पूरे कार्य के लिए 488.12 करोड़ यानी 30 प्रतिशत अधिक का ऑफर मिला है। जिसे भोपाल तकनीकी स्वीकृति के लिए पहुंचा दिया गया है। हालांकि 926 करोड़ में से 488 करोड़ खर्च होने के बाद 437.88 करोड़ ही बच रहे हैं और ग्रामीण में पेयजल कार्य के लिए लगभग 461 करोड़ की डीपीआर बनी है। ऐसे में राशि की कमी प्रोजेक्ट को पलीता लगा सकती है।