विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केंद्रों में होगी ‘ श्रीअन्न’ की खेती
ग्वालियर। श्रीअन्न यानि मोटा अनाज (मिलेट्स) पोषक तत्वों से भरपूर है, लेकिन किसान ज्वार, बाजरा, रागी, सांवा, कंगनी, कोदो, कुटकी, चीना के बजाए गेहूं सरसों की फसलें करते हैं। यही वजह है कि आज की पीढ़ी को मिलेट्स की जानकारी ही नहीं है। राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विवि कृषि विज्ञान केंद्रों पर एक एकड़ में मोटे अनाज की खेती शुरू करने जा रहा है। खासकर वह अनाज जो विलुप्त हो चुके हैं। इसके पीछे उद्ेश्य यही है कि किसान फिर से मोटे अनाज की खेती करें, ताकि मोटा अनाज खेत से लेकर भोजन की थाली में आ सके। विवि के कुलपति प्रो. अरविंद कुमार शुक्ला ने केंद्रों के प्रमुखों को मोटे अनाज की खेती करने और किसानों को खेती के प्रति जागरूक करने के निर्देश दिए हैं। अब खरीफ की फसल में मिलेट्स की खेती की जाएगी।
पांच एकड़ में प्राकृतिक खेती भी हो रही है
किसान प्राकृतिक खेती करने के बजाए जैविक उर्वरकों, फर्टिलाइजरों का उपयोग कर रहे हैं, जिनसे शरीर पर दुष्प्रभाव पड़ रहे हैं। इसे लेकर ही कृषि विवि अपने कृषि विवि केंद्रों पर 5 एकड़ में प्राकृतिक खेती करा रहा है, जहां किसानों को प्राकृतिक खेती के फायदें बताए जा रहे हैं। किसानों ने अब खेती के पुराने तरीकों को अपनाना शुरू भी कर दिया है।
सरकार दे रही बढ़ावा
सरकार मिलेट्स की खेती और प्रोडक्ट्स को बढ़ावा दे रही है। प्रदेश सरकार ने कई तरह के अभियान भी चलाए हैं। हाल ही में हुई मप्र कैबिनेट में भी मिलेट्स से बने व्यंजन परोसे गए थे। इसके अलावा सरकारी आयोजनों में श्री अन्न का एक पकवान रखने के निर्देश भी दिए हैं।