जून महीने से अब तक कच्चे तेल की कीमतों में हुई 30 फीसदी की बढ़ोतरी

देश अपनी जरूरत का 85 फीसदी तेल करता है आयात

जून महीने से अब तक कच्चे तेल की कीमतों में हुई 30 फीसदी की बढ़ोतरी

नई दिल्ली। कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों की चिंता फिर लौट आई है। जून से अब तक कीमतों में 30% की बढ़ोतरी देखी जा चुकी है। इसका दाम 97 डॉलर प्रति बैरल से अधिक पहुंच चुका है, जो इस साल सबसे अधिक है। भारत जैसे तेल आयातक देश के लिए यह बुरी खबर है। हमारा देश अपनी जरूरत का 85 फीसदी तेल आयात करता है। दाम क्यों बढ़े? : अभी दाम बढ़ने के पीछे कई कारण हैं। तेल निर्यातक देशों के संगठन ओपेक और उसके सहयोगियों ने सप्लाई में कटौती करने का फैसला किया है। इसके अलावा चीन में तेल की डिमांड बढ़ी है। वहां कोरोना के कारण लॉकडाउन लंबे समय तक चला, लेकिन उसके बाद आर्थिक गतिविधियां बढ़ी हैं। अमेरिका में भी खर्च का लेवल अभी मजबूत बना हुआ है। हमें क्या फर्क पड़ेगा : अगर कच्चे तेल की कीमत और नहीं भी बढ़ी तो भी इससे यहां बाकी चीजों की महंगाई पर असर पड़ेगा। अनाज समेत कई खाद्य पदार्थों के बढ़े दाम से महंगाई की स्थिति पहले ही सिरदर्द बढ़ा चुकी है। महंगाई के सरकारी आंकड़े जब जोड़े जाते हैं तो उसमें पेट्रोल और डीजल के दाम तो जुड़ते ही हैं, माल- भाड़े का बढ़ा खर्च भी जुड़ता है। रुपए पर नजर : रिजर्व बैंक को करंसी पर नजर रखने की भी जरूरत होगी। भारत के पास विदेशी मुद्रा का अच्छा खासा भंडार है। मगर, तेल खरीदने में विदेशी मुद्रा ज्यादा खर्च होने लगे तो यह चिंता की बात होगी। डॉलर के मुकाबले रुपया हाल में 83 के पार जा चुका है। रुपए की ये कमजोरी हर आयात को महंगा कर देगी। वैसे उम्मीद की एक किरण है। आगे चलकर डॉलर की सप्लाई बढ़ सकती है। पेट्रोल-डीजल का क्या होगा : पेट्रोल और डीजल की कीमत में तेल कंपनियों को किसी भी दिन बदलाव का अधिकार है, लेकिन इसे पिछले साल अप्रैल से नहीं बढ़ाया गया है। पिछले साल भी दाम बढ़ाने की खास वजह थी। रूस ने यूक्रेन पर अटैक किया तो कच्चे तेल के दाम बढ़ गए थे। उस वक्त जो घाटा हुआ, उसे इस साल रिकवर करने की कोशिश हुई।

डीजल की बिक्री सितंबर में 3% घटी, पेट्रोल की मांग 5.4% बढ़ी

कमजोर मांग और देश के कुछ हिस्सों में औद्योगिक गतिविधियां सुस्त पड़ने से डीजल की बिक्री सितंबर में तीन प्रतिशत घटी है हालांकि, पेट्रोल की बिक्री में 5.4% बढ़ोतरी हुई है। सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों के शुरुआती आंकड़ों से यह जानकारी मिली है।

डीजल की बिक्री घटकर 58.1 लाख टन रह गई

डीजल की बिक्री सितंबर में घटकर 58.1 लाख टन रह गई, जो एक साल पहले की समान अवधि में 59.9 लाख टन थी। सितंबर के पहले पखवाड़े में डीजल की मांग में पांच प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई, जबकि बारिश कम होने से दूसरे पखवाड़े में डीजल की मांग बढ़ी। मासिक आधार पर डीजल की बिक्री ढाई प्रतिशत अधिक रही है।

विमान र्इंधन की मांग 7.5 प्रतिशत बढ़ी

हवाई अड्डों पर यात्रियों की संख्या लगातार बढ़ने के बीच विमान र्इंधन एटीएफ की मांग सितंबर में 7.5 प्रतिशत बढ़कर 5,96,500 टन पर पहुंच गई। सितंबर, 2021 की तुलना में यह 55.2 प्रतिशत अधिक रही। वहीं कोविड-पूर्व यानी सितंबर, 2019 की तुलना में यह 3.55 प्रतिशत कम रही। मासिक आधार पर जेट र्इंधन की मांग सितंबर में स्थिर रही।