बिना नहर,नलकूप वाले क्षेत्रों में वरदान बनी क्रॉस वेब टेक्नीक

बिना नहर,नलकूप वाले क्षेत्रों में वरदान बनी क्रॉस वेब टेक्नीक

जबलपुर। जल को बचाने सेव द वॉटर की थीम पर काम कर रहे इंडियन वॉटर रिसोर्स सोसायटी रुड़की आईआईटी के डायरेक्टर इंजी. नरेन्द्र कुमार यादव ने बताया कि क्रास वेब टेक्नालॉजी से पहाड़ी व ऐसे रिमोट एरिया जहां खेती के लिए लगने वाले जल के लिए नहर, नलकूप जैसे जलस्त्रोतों नहीं है उनमें जल पहुंचाने के लिए वरदान साबित हो रही है। यह जानकारी श्री यादव ने जबलपुर में चल रही 38 वीं इंजीनियरिंग कांफ्रेस के दौरान पीपुल्स समाचार को दिए गए विशेष साक्षात्कार में दी। उन्होंने बताया कि इस तकनीक को उत्तराखंड के पौडी ग्राम सहित रुढ़की व देहरादून में प्रयोग किया गया है जो कि पूरी तरह से सफल रहा है। अब इसे देशभर में लागू करने के लिए भारत सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है। उम्मीद है कि जल्द ही इसे स्वीकृति मिल जाएगी।

क्या है तकनीक

इंजी. यादव ने बताया कि क्रास वेब टेक्नोलॉजी में वे उस एरिए में जियो फायबर क्लोथस का एक गड्ढा करते हैं इनमें पानी जमा करने के लिए जाल बिछाया जाता है और इसके ऊपर से पाइप निकाली जाती है जिसमें बारिश का पानी इस गड्ढे में जमा होता है। तकनीक के माध्यम से यह पानी उस मिट्टी में नमी पहुंचाकर पानी की कमी को पूरा कर देता है। इस तकनीक से उन क्षेत्र के किसानों को बहुत लाभ होगा जो कि रिमोर्ट एरिया में खेती करना चाहते है लेकिन जल स्त्रोतों के अभाव में वे इससे वंचित रह जा रहे हैं। यह तकनीक उन स्थानों के लिए भी कारगर है जहां पर पानी के भराव की समस्या अधिक देखने को मिलती है। इस तकनीक से पानी के भराव को कुछ मिनटों में खाली किया जा सकता है। इसे और अपग्रेड करने की दिशा में हमारी सोसायटी लगातार काम कर रही है ताकि इस समस्या से राहत मिल सके।

कोयले की जगह अब भूसे से बना रहे है बिजली : इंजी. शांडिल्य

सीनियर मैकेनिकल इंजीनियर एवं डीसीएम श्रीराम कम्पनी के डिप्टी जनरल मैनेजर आरबी शांडिल्य ने बताया वर्तमान में बिजली के लिए सोलर की लागत कम करने को लेकर काम करना होगा। यह इंजीनियरिंग से ही संभव है। साथ ही अभी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर तेजी से काम किया जा रहा है। एआई से प्रोडक्ट की एक्यूरेसी बढ़ती है बल्कि अब लागत भी कम होने लगी है। मैकेनिकल इंजीनियरिंग के मामले में उन्होंने कहा कि भारत पिछले एक दशक में इस सेक्टर में काफी अपडेट हुआ है।

विकास के लिए इंजीनियरों की भूमिका महत्वपूर्ण : डिप्टी सीएम शुक्ल

मध्य प्रदेश में पहली बार जबलपुर में आयोजित इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) लोकल सेंटर जबलपुर के तत्वावधान में तीन दिवसीय 38 वीं भारतीय इंजीनियरिंग कांग्रेस का उद्घाटन बुधवार को डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल ने होटल आर्बिट में किया। इस अवसर पर देश के विकास की रीढ़ इंजीनियर है। मध्य प्रदेश तेजी से आगे बढ़ता विकसित राज्य हैं जिसमें इंजीनियरों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इंजीनियरिंग कांग्रेस के दौरान जो भी पेपर प्रस्तुत किए जाएंगे इसका पूर्ण अध्ययन मध्य प्रदेश सरकार करवायेगी और प्रदेश विकास में उसका उपयोग किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार इंस्टीट्यूशन आफ इंजिनियर्स के सुझावों पर हमेशा विचार कर उसे लागू करने के लिए तत्पर रहेगी। 

उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि भारत सरकार के पूर्व सचिव यूपी सिंह थे। इस अवसर पर मंच में मेजर जनरल डॉक्टर मजेएस सायली सेक्रेटरी एवं संचालक जनरल जनरल आईईआई जबलपुर लोकल सेंटर के अध्यक्ष ब्रिगेडियर व्ही के त्रिवेदी, आई ई आई के नवनिर्वाचित अध्यक्ष डॉ. जी रंगनाथ, आईईआई के वर्तमान अध्यक्ष इंजीनियर शिवानंद राय, ऑगेर्नाइजिंग कमेटी के अध्यक्ष राकेश कुमार राठौर एवं जबलपुर लोकल सेंटर के सेक्रेटरी राजीव जैन जबलपुर लोकल सेंटर सहित 400 से ज्यादा इंजीनियर और विशेषज्ञ, प्रसिद्ध उद्योगपति उपस्थित थे।

पहले दिन प्रस्तुत हुए मेमोरियल लेक्चर

आयोजन समिति के मीडिया प्रभारी इंजीनियर तरुण आंनद ने बताया कि 38 वीं इंडियन इंजीनियरिंग कांग्रेस के पहले दिन अनेक मेमोरियल लेक्चर प्रस्तुत किए गए