गौशाला में गौ सेवकों ने गाय के गोबर के घोल से खेली वैदिक होली

गौशाला में गौ सेवकों ने गाय के गोबर के घोल से खेली वैदिक होली

ग्वालियर। लालटिपारा स्थित प्रदेश की सबसे बड़ी गौशाला में सोमवार को हर्षोल्लास से वैदिक होली खेली गई। यहां कृष्णायन गौ सेवा समिति हरिद्वार के संतों के मार्गदर्शन में तैयार विशेष गोबर के घोल में भक्त सराबोर रहे। वहीं गौमय होली बनाने के लिए सुगंधित धूनी देकर प्रत्येक सदस्य को प्रसाद दिया गया। होली के दौरान शहर के गणमान्य लोग मौजूद थे।

नगर निगम द्वारा संचालित गौशाला में होली का पर्व मनाने के पहले होलिका दहन वाले दिन गायों की दशा सुधारने की दृष्टि से बेहद खास बनी। साथ ही गौ-शाला में होली का आयोजन आकर्षण का केन्द्र रहने पर लोग गोबर की वैदिक होली का विशेष महत्त्व जानने के लिए बड़ी संख्या में मौजूद रहे। निगम की लालटिपारा गौशाला में 7000 से अधिक गाय हैं। यह प्रदेश की सबसे बड़ी गौशाला है। कुछ साल पहले तक यह गौशाला गायों की दुर्दशा के लिए जानी जाती थी और यहां प्रतिदिन 80 से 100 गायों की मौत होने के चलते निगम को चारों ओर से फजीहत सहना पड़ रही थी।

जिसके चलते गौ सेवा से जुड़े लोगों के प्रयासों के बाद हरिद्वार की श्रीकृष्णायन गौसेवा समिति के संतों को गायों की दशा सुधारने की जिम्मेदारी दी थी, जिसके बाद कुछ पत्रकार एवं निगम अधिकारियों ने मिलकर गौ-भोग नाम का ग्रुप बनाया और इसमें अन्य लोगों को जोड़ा। ग्रुप में जो सदस्य जुड़े हैं, वह अपने परिजनों के जन्मदिन, पुण्यतिथि, शादी की सालगिरह सहित अन्य विशेष अवसरों पर गौ-भोग की व्यवस्था करते हैं साथ ही गोबर से वैदिक होली मनाने की शुरूआत इसी ग्रुप ने की थी और बदलाव के चलते गायों के मरने की संख्या 2 से 3 रह गई है।