देर से दर्ज कराई गई FIR वाले मामलों में अदालतें सतर्क रहें: SC
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब किसी एफआईआर में देरी होती है और उचित स्पष्टीकरण का अभाव रहता है तो अभियोजन पक्ष की कहानी में चीजों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किए जाने की संभावना को दूर करने के लिए अदालतों को सतर्क रहना चाहिए तथा साक्ष्यों का सावधानीपूर्वक परीक्षण करना चाहिए। शीर्ष अदालत ने 1989 में दर्ज एक मामले में हत्या के अपराध के लिए दोषसिद्धि और आजीवन कारावास की सजा के मामले में उन दो लोगों को बरी कर दिया जिनकी सजा को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बरकरार रखा था। न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि बिलासपुर जिले में 25 अगस्त 1989 को संबंधित व्यक्ति की हत्या के मामले में आरोपियों पर मुकदमा चलाया गया, जबकि प्रकरण में प्राथमिकी अगले दिन दर्ज कराई गई थी।