देश में बनी कफ सिरप ‘कोल्ड आउट’ जानलेवा, अलर्ट जारी
डब्ल्यूएचओ ने इराक की आपत्ति के बाद दवा को बताया खतरनाक
नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भारत में बनी एक और कफ सिरप को जानलेवा बताते हुए अलर्ट जारी किया है। इस कफ सिरप को लेकर इराक की ओर से आपत्ति जताई गई थी। पिछले 10 महीने में पांचवीं बार किसी भारतीय दवाई पर बैन लगाया जा सकता है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार इराक ने भारत में बनी कफ सिरप कोल्ड आउट (पैरासीटामाॉल और क्लोरेफेनिरामिन मालियट) को लेकर हमें जानकारी दी है। इस कफ सिरप की गुणवत्ता खराब है और यह सेहत के लिए खतरनाक है। कफ सिरप को तमिलनाडु की फोरर्ट्स (इंडिया) लैबोरेटरीज प्राइवेट लिमिटेड बनाती है। इसकी प्रोडक्शन यूनिट महाराष्ट्र में है। कंपनी इस दवा को इराक की डैबीलाइफ फार्मा प्राइवेट लिमिटेड को सप्लाई करती है। इस कफ सिरप का इस्तेमाल जुकाम के लक्षणों और एलर्जी से राहत पाने के लिए किया जाता है। डब्ल्यूएचओ द्वारा इस कफ सिरप का लैब एनालिसिस कराया गया। सैंपल में डाइथाइलीन ग्लाइकोइल की मात्रा ज्यादा मिली, जो सेहत के लिए काफी हानिकारक है।
बच्चों की मौत का कारण बन सकती है यह दवा
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि इराक में जो कफ सिरप पाई गई है, वह सब स्टैंडर्ड है और सेहत के लिए खतरनाक है। खासकर बच्चों के लिए यह दवा मौत का कारण भी बन सकती है। दवा को लेने के बाद पेट दर्द, उल्टी, डायरिया, पेशाब रुकना, सिरदर्द, किडनी इंजरी जैसे बुरे प्रभाव देखने को मिलते हैं। डब्ल्यूएचओ की एडवाइजरी के अनुसार अगर कोई इस प्रोडक्ट का इस्तेमाल करता है तो तत्काल बंद कर देना चाहिए।
बढ़ेगा खतरा ब्रिटेन का एरिस वायरस महाराष्ट्र में मिला
मुंबई। दुनिया में कोरोना महामारी का प्रकोप भले ही कम हो गया हो, लेकिन इसका खतरा अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है। हाल ही में कोरोना का नया वैरिएंट एरिस ब्रिटेन में मिला है, जो तेजी से फैल रहा है। अब यही वैरिएंट महाराष्ट्र में भी पाया गया है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि ईजी.5.1, उपनाम एरिस, घातक ओमिक्रॉन का एक उप-संस्करण है जो इस साल मई से महाराष्ट्र में सक्रिय है। महाराष्ट्र के समन्वयक और पुणे के बीजे मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. राजेश कार्यकार्टे ने बताया कि ईजी.5.1 का मई में महाराष्ट्र में पता चला था। चूंकि इसका पता चलने के बाद दो महीने बीत चुके हैं और जून और जुलाई में कोविड में कोई महत्वपूर्ण वृद्धि नहीं हुई है, इसलिए यह उप-संस्करण कोई प्रभाव डालता नहीं दिख रहा है। बता दें, बीबी.1.16 और एक्सबीबी.2.3 अभी भी हावी हैं।
143 दवा कंपनियों को जारी किए कारण बताओ नोटिस:
इधर केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने राज्य लाइसेंसिंग अधिकारियों के साथ मिलकर 162 दवा कंपनियों का निरीक्षण किया। निरीक्षण के बाद 143 कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने मंगलवार को राज्यसभा में कहा कि 40 मामलों में उत्पादन रोकने का आदेश जारी किया गया।