चंद को छोड़ बाकी घरों में दुबके पार्षद, केवल फायदे के कामों पर दे रहे ध्यान
जबलपुर। इस बार की नगर निगम पिछले कार्यकालों से कुछ अलग दिखाई दे रही है। गिने-चुने चंद पार्षदों को छोड़ दें तो बाकी ऐसा लगता है घरों में दुबक कर रह गए हैं। चुनाव लड़ते समय जनता की छोटी से छोटी समस्याओं के लिए जीने-मरने की कसमें खाने वाले लापता हैं। ऐसे में आम नागरिकों को अपनी समस्याओं के लिए जनसुनवाई का ही सहारा बचा है।
महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू ने बजट की बैठक में पार्षदों की जोरदार मांग के बाद उनका मद बढ़ाकर एक करोड़ रुपए तक कर दिया था। लंबे समय तक पार्षदों की शिकायत रही कि उनके पार्षद मद के प्रस्ताव स्वीकृत नहीं हो रहे हैं,जोन कार्यालयों के यंत्री उनके प्रस्ताव बनाने में रुचि नहीं ले रहे हैं। अब यह समस्या भी हल कर दी गई है। इनका रुझान केवल अपने बनाए प्रस्तावों को अमल में लाने में रह गया है जिससे उन्हें कमीशन के रूप में अच्छी खासी रकम मिल जाए। वहीं भीषण गर्मी झेलने के बाद अब बारिश में लोगों की क्या परेशानियां हैं,क्षेत्र में सफाई,बिजली, पानी आदि की क्या व्यवस्था है इसकी तरफ वे कतई ध्यान नहीं दे रहे हैं।
दोनों पक्ष एक से
चाहे कांग्रेस के पार्षद हों या भारतीय जनता पार्टी के दोनों तरफ एक सी ही स्थिति दिखाई दे रही है। जनता के बीच पार्षद यदा-कदा ही नजर आ रहे हैं। जनता उनके घर पहुंचती है और आश्वासन देकर इन्हें टरका दिया जाता है। पूर्व के कार्यकालों में देखा जाता था कि पार्षद नित्य सुबह अपने क्षेत्रों में भ्रमण करते थे और खुद संज्ञान लेकर समस्याओं के निदान करने अफसरों से भिड़ तक जाते थे।
शासकीय योजनाओं में भी मदद नहीं
इस समय लाड़ली बहना के पंजीयन चल रहे हैं। इसके अलावा हर वार्ड में गरीब आबादी की अपनी समस्याएं हैं किसी को निराश्रित पेंशन चाहिए तो कोई पेंशन न मिलने से परेशान है। युवाओं को रोजगार के लिए मार्गदर्शन चाहिए। इस सब के लिए नगर निगम द्वारा लगाए जाने वाले शिविर या मुख्यालय के शासकीय योजना कक्ष आने के लिए भटकना पड़ता है।