अमृत में भ्रष्टाचार पर फूटा पार्षदों का आक्रोश, धक्का मुक्की कर आसंदी पर दिया धरना, बनी जांच समिति
ग्वालियर। पूर्व भाजपा महापौर-परिषद व एमआईसी के समय स्वीकृत कार्य वाली 730 करोड़ की अमृत योजना में करोड़ों के भ्रष्टाचार को लेकर अभ्याचित बैठक में भाजपा के ही पार्षदों का आक्रोश फूट बैठा। वहीं सत्तापक्ष द्वारा इतने बड़े भ्रष्टाचार में केन्द्रीय व प्रदेश के मंत्रियों के बिना संभव न होने सहित कांग्रेस पार्षदों द्वारा वार्डों में काम न होने देने के आरोपों पर सत्तापक्ष व विपक्षी पार्षदों ने एक-दूसरे को धकियाते हुए चार बार आसंदी घेरी। साथ ही उसके सामने धरने पर बैठ गए। पौने तीन घंटे की बहस व सदन में दोनों पक्षों की सहमति के बाद सभापति मनोज तोमर ने पांच सदस्यीय जांच कमेटी बनाई। हालांकि अभी नामोें की घोषणा नहीं की गई।
शुक्रवार को जल विहार परिषद कार्यालय में दोपहर 3 बजे से अभ्याचित के 11 बिंदु वाले एजेंडे को लेकर बैठक हुई। जिसमें एजेंडे के छठवें बिंदु पर बहस के चलते पार्षदों ने अमृत योजना की तुलना एडीबी, यूआईएसएसएमटी से की और मांग की अमृत के जिम्मेदार अधिकारी किसी वार्ड में ले जाकर 9 मीटर तक पानी पहुंचाकर दिखवा दें। साथ ही ठेकेदारों व अधिकारियों की मिलीभगत बताते हुए कहा कि अनुबंध के अनुसार ठेकेदार पर पेनल्टी से ज्यादा भुगतान पहुंच गया है? और अब ठेकेदार के बिल बिना फिजीकल, हाईड्रोलिक टेस्ट, अधूरे कामों व बिना अनदेखी के कैसे फाइनल किए जा रहे है? वहीं अनेक पार्षदों ने अमृत योजना की लाइनें डाले जाने के बाद वार्डों में गंदे पानी-सीवर की समस्या जस की तस होने, टैंकरों से पानी सप्लाई होने, ठेकेदारी फर्म को संधारण कार्य देने के बाद पीएचई कर्मचारियोें को वापस करने, ब्रिगेड की टंकी से पानी दिलवाने सहित अन्य कई मुद्दों पर चर्चा कर अधिकारियों की अनदेखी करने व मिलीभगत के आरोप लगाए।
पांच सदस्यीय समिति गठित, समस्या निराकरण के दिए निर्देश
परिषद में सत्तापक्ष व विपक्ष की नाराजगी के बाद सभापति मनोज तोमर ने 5 सदस्यीय जांच समिति द्वारा अमृत में पानी व सीवर मामले की जांच करने के निर्देश आसंदी से दिए। साथ ही निगमायुक्त को पार्षदों द्वारा सीवर पानी समस्या हल करने के लिए अधिकारियों को निर्देशित करने के लिए कहा। हालांकि सभापति ने अभी नामों की घोषणा नहीं की गई।
अवैध कॉलोनाइजरों को पहुंचाया है फायदा
पार्षद नागेन्द्र राणा ने अमृत के कार्यों में भ्रष्टाचार की बात करते हुए कहा कि अधिकारियों ने घनी बस्तियों की जगह शहरी सीमा पर अवैध कॉलोनाइजरों को फायदा पहुंचाने के लिए सीवर-पानी की पाइप लाइनें डलवाग। क्योंकि वहां रेस्टोरेशन और पाइप लाइन के कामों की जांच के लिए कोई नहीं जाने वाला था।
सत्तापक्ष पर कार्रवाई बताने का रहा दबाव
विपक्षी भाजपा पार्षदों द्वारा अमृत योजना में भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर सवाल उठाए गए। साथ ही 57 साल बाद सीवर पानी की लड़ाई व भाजपा सरकार में कार्यों के होने जैसे मुद्दों पर नेता प्रतिपक्ष ने पार्षदों को आपस में उलझने से रोकते हुए कहा कि पीएम, सीएम यहां आकर काम नहीं करेंगे, लेकिन यहां अधिकारियों द्वारा किए कामों पर हम महापौर से मामले में कार्रवाई की जानकारी ले रहे हैं।
रामू ने इतना ज्ञान पिलाया कि सब भूल गया
पार्षद ब्रजेश श्रीवास ने अमृत पर हुई चर्चा के दौरान कहा कि श्री 1008 रामू शुक्ला जी ने इतनी बड़ी-बड़ी ज्ञान की बातें की हैं कि शिकायत करने वाले पार्षद मेंटली डिस्टर्ब हो जाएं। मैं अपने क्षेत्र के प्रगति विहार और अन्य क्षेत्र की समस्या को लेकर गया था, तो उन्होंने इतना ज्ञान पिलाया कि जो लेकर गया था, वह सब भूल गया।
प्रोटोकॉल में न आने वाले भी बैठक लेते हैं
एमआईसी सदस्य अवैध कौरव ने अमृत में हुए घोटाले पर कहा, मामले की जांच राज्य शासन, सीबीआई, लोकायुक्त से करवाई जाए। क्योंकि निगम में प्रोटोकॉल में न आने वाले भी बैठक लेते हैं, उन्होंने भी समीक्षा करने अनियमिताओं को देख सांठगांठ कर ली है क्या?
अधिकारी कहते हैं टैक्ट से काम होने की बात
पार्षद पीपी शर्मा ने अपने वार्ड में मंत्री के इशारे पर काम न होने की बात कही और बताया कि दो महीने बाद काम शुरू न होने पर धरना दिया था, लेकिन अधिकारियों ने इसके बाद बातचीत में बताया कि काम धरने से नहीं टैक्ट से करवाए जाते हैं।
झलकियां
- नेता प्रतिपक्ष ने निगमायुक्त को स्पीकर खराब होने पर सही कराने के लिए कहा
- स्ट्रीट लाइट पर विधायक प्रतिनिधि गिर्राज गुर्जर को सभापति द्वारा न बोलने पर आसंदी के सामने बैठकर विरोध जताया
- परिषद में आसंदी घेरने के दौरान पार्षदों द्वारा एक-दूसरे को धकियाकर जगह बनाते हुए देखा गया