बजट को लेकर नहीं बुलाई परिषद, एमआईसी से आए प्रस्ताव को हरी झंडी देने पर उठ रहे सवाल

बजट को लेकर नहीं बुलाई परिषद, एमआईसी से आए प्रस्ताव को हरी झंडी देने पर उठ रहे सवाल

ग्वालियर। भले ही दो महीने पहले ही निगम के आगामी वित्तीय वर्ष 2023- 24 के बजट को लेकर प्रस्ताव परिषद कार्यालय पहुंचा दिया गया हो, लेकिन आधा मार्च गुजरने पर परिषद की बैठक न बुलाने व चर्चा न कराने पर तमाम तरह के सवाल उठने लगे हैं, जिसके चलते आशंका व्यक्त की जा रही है, कि सत्ताधारी दल एमआईसी से पारित होकर आए बजट को बिना चर्चा कराए ही स्वीकृति दिलाने के मूड में है। हालांकि विपक्षी पार्षद अनदेखी पर दो-चार दिन में चर्चा के लिए सभापति मनोज तोमर को लिखकर देने की तैयारी में है।

नगर निगम द्वारा आगामी वित्तीय वर्ष 2023-24 में कराए जाने वाले विकास कार्यों सहित अन्य कार्यों की प्लानिंग कर दिसंबर 2022 में महापौर शोभा सिकरवार वाली मेयर इन काउंसिल ने लगभग 2100 करोड़ से ज्यादा के बजट प्रस्ताव को नगर निगम की परिषद में चर्चा के लिए पहुंचा दिया था और निगम वित्तीय विभाग के जानकारों के अनुसार नए वर्ष का बजट 8-9 लाख रुपए के लाभ का होने के अलावा महापौर की स्वेच्छा अनुदान राशि दो करोड़ रुपए को भी शामिल कर लिया गया था और पार्षदों को भी स्वेच्छानुदान के लिए एक-एक लाख रुपए मिलने की बात सामने आई थी, लेकिन इसमें सभापति के लिए कितनी राशि होगी, इसकी कोई जानकारी नहीं थी। परन्तु इस प्रस्ताव के परिषद पहुंचने के लगभग दो माह गुजरने के बाद बजट प्रस्ताव पर चर्चा व संशोधन के लिए अभी तक परिषद की बैठक शुरू होेने का सिलसिला चालू नहीं हो पाया है।

सीधे पारित हो सकता है प्रस्ताव

परिषद के जानकारों की मानें तो यदि बजट पर चर्चा के लिए समय रहते सत्ता पक्ष बैठक बुलाने की औपचारिकता न निभाकर आखिरी समय में एमआईसी पारित बजट को माह अंत में लाता है, तो परिषद में लंबी बहस व संशोधन का समय समाप्त हो जाएगा। ऐसे में परिषद को एमआईसी से पास पारित प्रस्ताव को हरी झंडी देनी पड़ेगी। लेकिन इसमें सदन में मौजूद बहुमत सत्तापक्ष का गेम बिगाड़ सकता है।

2100 करोड़ से ज्यादा का है आगामी बजट

पिछले साल प्रशासक आशीष सक्सेना ने परिषद का अस्तित्व न होने पर 1478 करोड़ रुपए का बजट पेश किया था। लेकिन इस बार परिषद होने पर 2100 करोड़ रुपए से अधिक का बजट प्रस्ताव एमआईसी से पारित होकर आया है। जिसके पीछे की कहानी अमृत प्रोजेक्ट-2 के 913 करोड़ रुपए जुड़ना भी बताया जा रहा है, साथ ही इसमें 15 वें वित्त आयोग की 55 करोड़ की राशि को भी जोड़ा गया है।

एमआईसी से पारित प्रस्ताव परिषद में आ चुका है, जिस पर चर्चा के लिए कमिश्नर के एजेंडे को महापौर अनुमोदन देती हैं। तब हम तारीख देते हैं, लेकिन अभी तक हमारे पास कोई एजेंडा नहीं आया है। मनोज तोमर,सभापति, नगर निगम ग्वालियर