बीके अग्रवाल की अध्यक्षता में संयुक्त कमेटी करो गठित

बीके अग्रवाल की अध्यक्षता में संयुक्त कमेटी करो गठित

जबलपुर। भोपाल गैस त्रासदी मामले में जस्टिस हाईकोर्ट जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस वीरेन्द्र सिंह की युगलपीठ ने पूर्व में पारित आदेश के परिपालन के लिए मॉनिटरिंग कमेटी के अध्यक्ष बीके अग्रवाल की अध्यक्षता में संयुक्त कमेटी बनाने के आदेश जारी किये है। कमेटी को तीन माह माह की निर्धारित समय अवधि में हाईकोर्ट के समक्ष रिपोर्ट पेश करना है। याचिका पर अगली सुनवाई 12 जून को निर्धारित की गयी है, हालांकि विस्तृत आदेश प्रतीक्षित है।

गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय ने साल 2012 में भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन सहित अन्य की ओर से दायर की गई याचिका की सुनवाई करते हुए भोपाल गैस पीड़ितों के उपचार व पुनार्वास के संबंध में 20 निर्देश जारी किये थे। इन बिंदुओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित कर मॉनिटरिंग कमेटी का गठित करने के निर्देश भी जारी किये थे। मॉनिटरिंग कमेटी प्रत्येक तीन माह में अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट के समक्ष पेश करने तथा रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट द्वारा राज्य सरकार को आवश्यक दिशा.निर्देश जारी करेगी के निर्देश भी जारी किये थे। जिसके बाद उक्त याचिका पर हाईकोर्ट द्वारा सुनवाई की जा रही थी। याचिका के लंबित रहने के दौरान मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसाओं का परिपालन नहीं किये जाने के खिलाफ अवमानना याचिका भी दायर की गयी थी।

अवमानना याचिका में कहा गया था कि गैस त्रासदी के पीड़ित व्यक्तियों के हेल्थ कार्ड तक नहीं बने है। अस्पतालों में आवश्यकता अनुसार उपकरण व दवाएं उपलब्ध नहीं है। बीएमएचआरसी के भर्ती नियम का निर्धारण नहीं होने के कारण डॉक्टर व पैरा मेडिकल स्टॉफ स्थाई तौर पर अपनी सेवाएं प्रदान नहीं करते है। याचिकाकर्ता की तरफ से मॉनिटरिंग कमेटी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया था कि आयुष्मान योजना के तहत सिर्फ कैंसर का उपचार होता है। जांच व अन्य उपचार के लिए गैस पीड़ितों को भुगतान करना पड़ रहा है।

युगलपीठ ने सितम्बर 2021 में आदेश जारी किये थे कि एम्स भोपाल में गैस पीड़ितों का फ्री में उपचार किया जाये। गैस पीड़ितों के डिजिटल कार्ड नहीं बने है। जिसके कारण उन्हें यह सुविधा नहीं मिल रही है। युगलपीठ ने नेशनल इंफ्ररमेशन सेन्टर के डायरेक्टर को गैस पीड़ितों के डिजिटल कार्ड बनाकर न्यायालय में परिपालन रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिये थे। मामले में आगे हुई सुनवाई दौरान न्यायालय को बताया गया कि नेशनल इंफ्ररमेशन सेन्टर, आईसीएमआर, भोपाल गैस राहत एव पुनर्वास विभाग सहित अन्य विभाग के अलग-अलग होने के कारण आदेष के परिपालन में दिक्कत हो रही है।

इसके अलावा सरकार ने स्टेनोग्राफर को वेतन दिये जाने के संबंध में पारित आदेश को वापस लेने का आग्रह किया गया। युगलपीठ को बताया गया कि वेतन रोगी कल्याण समिति के मद से दिया जाता है। युगलपीठ ने सुनवाई के बाद आदेश के परिपालन में मॉनिटरिंट कमेटी के अध्यक्ष बीके अग्रवाल की अध्यक्षता में संयुक्त कमेटी बनाने के निर्देश दिये है। कमेटी आदेश के परिपालन के लिए तीन माह में रिपोर्ट पेश करेगी। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अंकित साहू ने पैरवी की।