कांग्रेस डेंजर जोन वाली सीटों पर भाजपा बसपा नेताओं को खींच रही अपने खेमे में

बुंदेलखंड, विंध्य और ग्वालियर चंबल संभाग में बन रहे नए समीकरण

कांग्रेस डेंजर जोन वाली सीटों पर भाजपा बसपा नेताओं को खींच रही अपने खेमे में

 भोपाल। विधानसभा चुनाव के एक महीने पहले सितंबर में राजनीतिक उठा- पटक ने रμतार पकड़ ली है। भाजपा प्रत्याशियों की दूसरी लिस्ट और कांग्रेस की पहली सूची आने से पहले बड़े नेताओं के नए दांव चले जा रहे हैं। कांग्रेस ने अपने डेंजर जोन की सीटों के लिए जो रणनीति बनाई थी, उस पर अमल शुरू कर दिया है। पार्टी ने सिंधिया के गढ़ में शिवपुरी को सबसे पहले साधा तो अब बड़ी चुनौती बने बुंदेलखंड में भी नए समीकरण बनाकर चौंकाया है। इस उथल-पुथल से निमाड़ और विंध्य भी अछूते नहीं हैं। दिल्ली से कांग्रेस नेताओं की मौजूदगी में कांग्रेस कई नेताओं को 2 सितंबर को पार्टी में शामिल करने जा रही है। प्रदेश के विभिन्न अंचलों से भाजपा के नेताओं को शामिल करा चुकी कांग्रेस ने अब बसपा पर भी दांव खेला है। बुंदेलखंड, विंध्य और ग्वालियर चंबल में बसपा का खासा जनाधार है। विंध्य में तो एक दर्जन सीटों पर बसपा निर्णायक स्थिति में रही थीं।

इसलिए बुंदेला की आमद

बुंदेलखंड के सागर जिले में भाजपा के तीन मंत्री होने से कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मनोबल कमजोर रहा। कांग्रेस को यहां बड़े नाम की तलाश थी जो बसपा के नेता गुड्डू राजा बुंदेला के रूप में पूरी हुई। निवाड़ी से जिपं सदस्य रोशनी यादव भी भाजपा सेÞ कांग्रेस में आई हैं।

सिंधिया के क्षेत्र में घुसपैठ

ग्वालियर-चंबल के असंतुष्ट भाजपा नेताओं को कांग्रेस ने अपना बनाने में कसर नहीं छोड़ी। कोलारस विधायक वीरेंद्र रघुवंशी ने भाजपा छोड़ी। वहीं पूर्व विधायक देवेंद्र जैन के भाई पूर्व जिपं अध्यक्ष गोटू जैन, पूर्व जिप अध्यक्ष बैजनाथ यादव भाजपा छोड़ चुके हैं।

विंध्य में प्रभाव बढ़ाने की कवायद, कुर्मी वोट साधने की कोशिश

2018 के विस चुनाव में कांग्रेस विंध्य क्षेत्र की ज्यादातर सीटें हारी थी। अब रैगांव के वरिष्ठ नेता रहे जुगल किशोर बागरी के बेटे और बहू देवराज और वंदना बागरी ने कांग्रेस के साथ हैं। मनगंवा से बसपा के चिह्न पर चुनाव लड़ने वालीं शीला त्यागी को भी कांग्रेस में आ चुकी हैं। कुर्मी वोटों को साधने कमलेश्वर पटेल का कद बढ़ाया है।

आंतरिक गुटबाजी: छतरपुर, और सागर जिले में भी असंतोष

बुंदेलखंड की आधा दर्जन सीटों पर गुटबाजी सतह पर आ गई है। भाजपा को छतरपुर, राजनगर, महाराजपुर, बंडा, पन्ना, पवई और मलहरा में भी आंतरिक गुटबाजी का नुकसान दिख रहा है। छतरपुर में ललिता यादव का टिकट घोषित होते ही अर्चना गुड्डू सिंह के समर्थकों ने विरोध में मोर्चा खोल दिया। यही स्थिति पन्ना जिले में भी उभरी है। कोलारस विधायक वीरेंद्र रघुवंशी ने अपना इस्तीफा देने के जो कारण गिनाए हैं, कमोबेश वही कारण बाकी जगह भी हैं।

बंडा में बुंदेला की दावेदारी :

भाजपा की हारी हुई सीट बंडा में वीरेंद्र सिंह लंबरदार और महाराजपुर में कामाख्या प्रसाद सिंह की उम्मीदवारी की चुनौती बढ़ने लगी है। दोनों जगह परिवारवाद के आरोप लग रहे हैं। बंडा में पुराने कार्यकर्ता रंजोर सिंह बुंदेला ने पार्टी हाईकमान के सामने अपनी दावेदारी भी रख दी है। उन्होंने शाहगढ़ और बंडा में अपने सक्रियता का ब्यौरा पार्टी के राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश, अध्यक्ष वीडी शर्मा को दिया है। चाचौड़ा में ममता मीणा ने भी विरोध की पताका थाम ली है।