इंदौर-भोपाल, राजगढ़ और गुना सीट पर नए सिरे से रणनीति बना रही कांग्रेस
प्रियव्रत सिंह ने इनकार किया तो दिग्विजय को उतार सकती है पाटी
भोपाल। लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के बाकी बचे 19 नामों के लिए थोड़ा और इंतजार करना पड़ सकता है। केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में लगभग 70 फीसदी सीटों पर नाम तय कर लिए गए हैं, लेकिन कुछ सीटों को लेकर असमंजस बना हुआ है। इनमें प्रमुख रूप से राजगढ़, गुना, इंदौर और भोपाल जैसी सीटें शामिल हैं। कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में जिन सीटों पर सिंगल नाम थे उन्हें हरी झंडी दे दी गई है। अगर हम राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र की बात करें तो यहां 2014 से भाजपा के रोडमल नागर काबिज है। जिन्हें फिर भाजपा ने लगातार तीसरी बार चुनावी मैदान में उतारा है। गुना में भाजपा ने सिंधिया को मौका दिया है। यहां पर कांग्रेस केपी यादव को अपने पाले में करने के प्रयास में जुटी है। वहीं भोपाल और इंदौर में भी यही स्थिति बन रही है। इंदौर में संजय शुक्ला के जाने से समीकरण बिगड़ गए हैं। ऐसे में इन लोकसभा सीटों पर कांग्रेस नए सिरे से रणनीति बना रही है।
राजगढ़ : हाईकमान के सामने प्रियव्रत सिंह की शर्तें !
राजगढ़ सीट से सबसे प्रबल दावेदार पूर्व मंत्री प्रियव्रत सिंह खींची हैं। उन्होंने क्षेत्र में चुनाव के लिए खासी तैयारी भी की है। लेकिन पेंच यह है कि प्रियव्रत ने चुनावी समर में उतरने से पहले कुछ शर्तें पार्टी आलाकमान के सामने रखी है। इस मामले में उन्होंने कहा कि शर्तें नहीं कुछ बिंदु हैं, जिन पर पार्टी आलाकमान की ओर से समर्थन की आवश्यकता है। अगर पार्टी उचित समझेगी तो मैं आदेश पर चुनाव लड़ने को तैयार रहूंगा। अगर प्रियव्रत सिंह चुनाव नहीं लड़ते हैं तो ऐसी स्थिति में कांग्रेस दिग्विजय सिंह को चुनावी मैदान में उतार सकती है।
इंदौर: शेखावत ने मना किया
इंदौर लोकसभा क्षेत्र में आने वाली सभी विधानसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है। इस सीट से बदनावर के विधायक भंवर सिंह शेखावत का नाम चला था, लेकिन उन्होंने चुनाव लड़ने में अपनी असमर्थता जता दी है। यहां से पूर्व विधायक संजय शुक्ला भी दावेदार माने जा रहे थे, लेकिन वे कुछ दिन पहले ही भाजपा में शामिल हो गए।
भोपाल: पैनल में तीन नाम
भोपाल लोकसभा क्षेत्र में भी दो विधानसभा क्षेत्र में ही कांग्रेस विधायक हैं। हालांकि इस बार भाजपा ने मौजूदा सांसद का टिकट काटकर आलोक शर्मा को टिकट दिया है। कांग्रेस की ओर से एसएएस के पूर्व अधिकारी जीपी माली, अरुण श्रीवास्तव, मेजर जनरल श्याम श्रीवास्तव के नाम पैनल में हैं, पार्टी यहां सामाजिक समीकरण को साध रही है।
गुना: केपी की जगह सिंधिया के आने से बदला गणित
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को गुना सीट से भाजपा प्रत्याशी बनाए जाने से यहां कांग्रेस को नई रणनीति बनानी पड़ रही है। पहले माना जा रहा था कि सिंधिया का राज्यसभा का कार्यकाल अभी बाकी है तो उन्हें लोकसभा चुनाव नहीं लड़ाया जाएगा, लेकिन घोषणा के बाद कांग्रेस नए सिरे से रणनीति बना रही है। पहले तो कांग्रेस नेताओं ने मौजूदा भाजपा सांसद केपी सिंह यादव का कांग्रेस में स्वागत... जैसे बयान दिए। जिससे यह स्पष्ट हुआ कि अगर यादव कांग्रेस में आते हैं तो टिकट उन्हें ही दिया जाएगा, लेकिन उन्होंने भाजपा में ही काम करने की बात कही है। ऐसे में पार्टी यादव बाहुल्य सीट पर अरुण यादव को भी उतार सकती है। इस सीट पर वीरेंद्र रघुवंशी की भी उम्मीदवारी हो सकती है। रघुवंशी विधानसभा चुनाव के पहले इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल हुए थे, लेकिन उस वक्त उन्हें कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया था। हालांकि रघुवंशी ने खुद अभी इस सीट पर लड़ने के लिए विचार करने का समय मांगा है। इससे लग रहा है कि कांग्रेस गुना सीट पर देर से प्रत्याशी घोषित कर सकती है।