पीटीएम में आत्मविश्वास से बोलने और भाषा के बिगड़े लहजे को सुधारने लग रहीं कक्षाएं
अच्छा बोलने की कला हमेशा से अहम रही है, लेकिन कई बार कई कारणों से लोग चाहकर भी अच्छी तरह से अपनी बात कम्युनिकेट नहीं कर पाते। कई बार ऐसा व्यवहारगत होता है तो कई बार स्पीच संबंधी समस्या के कारण। इस बारे में एक्सपर्ट्स बताते हैं कि कई लोग हकलाने के कारण ठीक से बोल नहीं पाते हालांकि वे स्पीच थैरेपी आदि की मदद ले चुके होते हैं लेकिन बोलते वक्त पूरी तरह से रफ्तार से बोल पाए यह संभव नहीं हो पाता, ऐसे लोगों के लिए स्पीच व लैंग्वेज क्लास में उन्हें बताते हैं कि इस तरह बोले कि हकलाहट को कवर कर सकें और हकलाहट का सिलसिला किसी संवाद के दौरान लंबा न चलें। इसके अलावा अब हाउसवाइव्स भी स्पेशल क्लास के लिए आती हैं जिसमें बच्चों की पीटीएम में आत्मविश्वास से कम्युनिकेट करने और अपने छोटेछोटे स्टार्ट-अप के दौरान लोगों से संवाद करते हुए कॉफिडेंट फील करना चाहती हैं। एक्सपर्ट्स के पास इन सुधारों के लिए लोग आ रहे हैं।
लैंग्वेज सुधार के लिए पैरेंट्स ला रहे बच्चों को
वहीं काउंसलर नीना जेम्स कहती हैं, लैंग्वेज आज बड़ी समस्या बन गई है क्योंकि लोग बहुत हल्के शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन जब वे इंटरव्यू या निजी जीवन में किसी रिलेशनशिप में पहुंचते हैं तब दिक्कत आती है। वे बहुत बार ऐसे शब्द बोल जाते हैं जिसके लिए उन्हें बाद में पछताना पड़ता है। कई पैरेंट्स अपने बच्चों को लेकर आते हैं कि इनकी बोलचाल का तरीका व लैंग्वेज सुधार देंक्योंकि बुरे ढंग से बोलना सुनने में अच्छा नहीं लगता।
झेंपते हुए बोलने के तरीके को बदलना चाहते हैं लोग
हम सभी किसी से नए व्यक्ति से बातचीत करते हैं तो हमारी कोशिश रहती है कि उसे इंप्रेस करें या वह हमें बातचीत से ही हमें कॉन्फिडेंस और समझदार समझे, लेकिन, हमारी बॉडी लैंग्वेज कभी-कभी ऐसी होती है जो किसी को इंप्रेस करना तो दूर हमें ही अंडर कॉन्फिडेंट और झेंपता हुआ दिखा देती है। अब स्टूडेंट्स या प्रोफेशनल्स ही नहीं बल्कि छोटे-छोटे स्टार्ट-अप के माध्यम से काम कर रही महिलाएं भी अपने प्रोडक्ट्स के बारे में आत्मविश्वास से बोलना चाहती हैं।
अच्छा बोलने की कला से खत्म होगा संकोच
अब तो लोग पर्सनल लाइफ में अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए हमारे पास आते हैं। दरअसल, पढ़ने की आदत कम होने के कारण लोगों के पास अपनी बात को अभिव्यक्त करने के लिए सुंदर शब्द नहीं है। कुछ ही शब्दों में पूरे दिन की बात सिमट जाती है लेकिन सुंदर व अच्छा बोलने का एक लहजा होता है। वहीं दूसरी तरफ कई महिलाएं संकोची स्वभाव की होती हैं और दूसरे व्यक्ति से कई बातें जानना चाहती हैं, जैसे कि पीटीएम में टीचर्स से, लेकिन जब सामने जाती हैं तो बोल नहीं पातीं। वहीं किटी पार्टीज में कई लोग काफी बोलते हैं और कुछ लोग चुप बैठे रहते हैं। तो ऐसी महिलाएं भी आती हैं, जो वहां खुद को एक्सप्रेस करना चाहती है। इसके अलावा कई तरह के मुद्दों को लेकर लोग आते हैं।
डॉ. मेधावी चौरे, स्पीच एंड कम्युनिकेशन एक्सपर्ट