अपराध की राह पर निकले बच्चे काउंसलिंग के बाद हुए आत्मनिर्भर
ग्वालियर। बच्चे देश का आने वाला भविष्य हैं। लेकिन, गलत संगत बच्चों को अपराध की दुनिया में पहुंचा देती है। कम उम्र में किए गए अपराध की वजह से कई बच्चे बाल संप्रेक्षण गृह में पहुंच जाते हैं। ऐसे ही राह से भटके हुए नाबालिग बच्चों को सही राह दिखाने का पुनीत कार्य कर रहे हैं समाजसेवी आलोक बेंजामिन। वे वर्ष 2012 से बाल संप्रेक्षण गृह में हर सप्ताह बच्चों की काउंसलिंग कर रहे हैं। आलोक अब तक 1,500 से अधिक बच्चों की काउंसलिंग कर चुके हैं। उनके इस अभिनव प्रयास से कई बच्चे अपराध की दुनिया छोड़कर सामाजिक और नौकरीपेशा बन गए हैं। इनमें से कोई कम्प्यूटर आॅपरेटर, तो कोई इलेक्ट्रिशियन बन गया है। इसके अलावा भी कई बच्चे अलग- अलग फील्ड में पहुंच गए हैं।
नि:शुल्क दे रहे काउंसलिंग : बेंजामिन ने बताया कि उन्हें सूचना मिली थी कि बाल संप्रेक्षण गृह में बालकों की काउंसलिंग नहीं हो रही है। जब बेंजामिन ने महिला बाल विकास अधिकारी सीमा शर्मा से मुलाकात कर इस संदर्भ में चर्चा की, तभी से वह बच्चों की नि:शुल्क व्यक्तिगत एवं सामूहिक काउंसलिंग करते आ रहे हैं।
आईटी फर्म में कर रहा नौकरी : निर्भय (परिवर्तित नाम) उम्र 17 साल। हत्या के प्रयास के केस में बाल संप्रेक्षण गृह भेजा गया। वह निम्न वर्ग से आता है। यहां उसकी काउंसलिंग की गई। जमानत के बाद उसे नि:शुल्क रोजगार उन्मुख प्रशिक्षण दिया गया। वह एक आईटी फर्म में कम्प्यूटर ऑपरेटर की नौकरी कर रहा है।
काउंसलिंग के बाद बदला जीवन : प्रकाश (परिवर्तित नाम) उम्र 15 साल। लूट एवं आर्म्स एक्ट के केस में बाल संप्रेक्षण गृह पहुंचा था। रिश्तेदारों की उपेक्षा के चलते वह असामाजिक तत्वों के संपर्क में आ गया। काउंसलिंग के बाद उसने हाईस्कूल का प्राइवेट फॉर्म भरा। जीवाजी विवि से स्नातक किया और अब एक एनजीओ में कार्यरत है।