अमान्य विवाह के बच्चे भी होंगे संपत्ति के अधिकारी: सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि अमान्य (वॉइड) या अमान्य करने योग्य (वॉइडेबल) विवाहों से उत्पन्न बच्चे कानूनी की दृष्टि में वैध होते हैं। वे हिंदू उत्तराधिकार कानून के तहत माता-पिता की संपत्तियों पर दावा कर सकते हैं। हिंदू उत्तराधिकार कानून के अनुसार अमान्य विवाह में पुरुष एवं स्त्री को पति और पत्नी का दर्जा नहीं मिलता है। हालांकि, अमान्य करने योग्य विवाह में उन्हें पति और पत्नी का दर्जा मिलता है। अमान्य (वॉइड) विवाह को निरस्त करने के लिए डिक्री (आदेश) की जरूरत नहीं होती है। जिस विवाह को किसी एक पक्ष के अनुरोध पर रद्द किया जा सकता है, उसे अमान्य करने योग्य विवाह कहते हैं। शीर्ष अदालत ने 2011 की एक याचिका पर फैसला सुनाया, जिसमें में प्रश्न था कि क्या अमान्य विवाह से हुए बच्चे हिंदू कानून के तहत माता िपता की पैतृक संपत्ति में हिस्सा प्राप्त करने के अधिकारी हैं।