इनफ्लुएंजा वायरस की चपेट में आ रहे बच्चे... हल्के में न लें
इंदौर। यदि आपके बच्चे को गले में खराश है, सांस लेने में तकलीफ है, सर्दी-जुकाम से जूझ रहा है। बार-बार बुखार और चलने में थकान महसूस हो रही है। पेट दर्द और दस्त लग रहे हैं तो इसे हल्के में न लें... यह इनफ्लुएंजा वायरस हो सकता है। बदलते मौसम के बीच बच्चे इसकी चपेट में तेजी के साथ आ रहे हैं। अस्पताल में मरीजों की संख्या का आंकड़ा भी डेढ़ गुना हो चला है। हालांकि ये वायरस बच्चों पर ज्यादा अटैक कर रहा है। चाचा नेहरू अस्पताल आ रहे 80 फीसदी मरीज सर्दी-खांसी व बुखार के हैं। शिशु रोग विशेषज्ञों के मुताबिक 70 प्रतिशत बच्चों में इनफ्लुएंजा वायरस के लक्ष्मण मिल रहे हैं। हालांकि अधिकतर शिशुओं के परिजन परामर्श लेकर ही लौट रहे हैं।
चाचा नेहरू अस्पताल के शिशु वार्ड में फिलहाल 40 से अधिक बच्चे वायरस की चपेट में आने के कारण भर्ती हैं, वहीं आईसीयू में बच्चों की संख्या ज्यादा होने से एक पलंग पर दो बच्चों को रखकर इलाज किया जा रहा है। बच्चों को निमोनिया और डबल निमोनिया के लक्षण दिख रहे हैं।
डॉक्टर का कहना है कि बच्चों को बिना डॉक्टर की सलाह से दवा न दें। तत्काल डॉक्टर को दिखाएं। शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. नीलेश जैन का कहना है कि इस बार फ्लू के लक्षण भी अलग हैं और इसे ठीक होने में ज्यादा समय भी लग रहा है। पहले आमतौर पर एक मरीज को ठीक होने में करीब पांच से सात दिन लगते थे, लेकिन इस बार ऐसा नहीं है।
इस बार मरीज को ठीक होने में 15 दिन से ज्यादा लग रहे हैं। ज्यादातर मरीजों में ठीक होने के कुछ हफ्तों बाद भी खांसी की शिकायत देखी जा रही है। चाचा नेहरू अस्पताल की ओपीडी में रोजाना करीब 400 बच्चे आ रहे हैं। फ्लू की एक वजह सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं होना और मास्क नहीं पहनना है।
स्वास्थ्य विभाग ने जारी किए निर्देश
बार-बार साबुन से हाथ धोना, बीमार व्यक्तियों के संपर्क में आने से बचने समेत छींकते- खांसते समय मुंह व नाक को ढंकना चाहिए। साथ ही मास्क का प्रयोग करने के निर्देश जारी कर दिए हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि बचाव ही इसका उपाय है।