मौसम का बदला मिजाज: अस्पतालों में बुखार, हाथ-पैर दर्द के बढ़े रोगी
ग्वालियर। शहर में मौसम का मिजाज हर रोज नए रूप दिखा रहा है, कभी फरवरी में मार्च जैसी गर्मी तो कभी बूंदाबांदी से मामूली ठंडक से अस्पतालों में एक बार फिर से मरीजों की संख्या बढ़ गई है। खासतौर से मेडिसिन व पीडियाट्रिक्स विभाग में मरीज पहुंच रहे हैं। इन दिनों मेडिसिन विभाग में बुखार, हाथ-पैर में दर्द के साथ खांसी एवं गले में दर्द जैसी समस्याओं के मरीज सामान्य दिनों की तुलना में 35 से 40 फीसदी अधिक पहुंच रहे हैं। हालांकि डॉक्टर्स से मिली जानकारी के मुताबिक जो मरीज ओपीडी में आ रहे हैं उनमें से 70 फीसदी मरीज दवाई से ही ठीक हो रहे हैं और केवल 20 से 25 फीसदी मरीजों को ही भर्ती करने की आवश्यकता महसूस हो रही है। बुधवार को ओपीडी के दौरान अकेले जेएएच के हजार बिस्तर के अस्पताल में 3 हजार से अधिक मरीज उपचार लेने के लिए पहुंचे, जिसमें सबसे अधिक मरीज मेडिसिन विभाग में नजर आए और डॉक्टरों के कक्षों के बाहर मरीज की लंबी कतारें लगी रहीं।
बदले मौसम में बच्चों की अधिक देखभाल की जरूरत
मेडिसिन के बाद सबसे अधिक मरीज पीडियाट्रिक्स या फिर स्किन रोग विभाग में पहुंच रहे हैं। बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बड़ों की तुलना में कमजोर होने के कारण मौसमी बीमारियां इन्हें जल्दी अपनी चपेट में ले रही हैं। बच्चों में इस दिनों सर्दी, खांसी एवं बुखार की सबसे अधिक शिकायत है। जेएएच के बाल एवं शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर विनीत चतुर्वेदी की मानें तो बच्चों को सामान्य पानी पिलाना चाहिए, शीतल पेय पदार्थों से दूर रखें।
डेड बॉडी ले जाने नहीं था पैसा प्रबंधन ने पहुंचाया श्योपुर
जेएएच के हजार बिस्तर के अस्पताल में एक भर्ती मरीज की मौत के बाद उसके परिजनों के पास डेड बॉडी ले जाने के लिए पैसे नहीं थे। इस मृतक की डेड बॉडी को प्रबंधन ने अस्पताल की शव वाहिका से श्योपुर पहुंचाया। अस्पताल के सहायक अधीक्षक डॉक्टर प्रवेश भदौरिया ने बताया कि मरीज के भाई के पास डेड बॉडी ले जाने के लिए पैसे नहीं बचे थे तो वह मदद के लिए अधीक्षक के पास पहुंचा, इसके बाद सहायक प्रबंधक ने डॉक्टर बालेन ने डेड बॉडी पहुंचाने की व्यवस्था की।