कल से रहेगी चैत्र नवरात्र पर्व की धूम
जबलपुर। मंगलवार को जहां हिन्दू नववर्ष की शुरूआत हो जाएगी वहीं चैत्र नवरात्र की भी मंगलमय शुरुआत हो जाएगी। इस बार पूरे नौ दिनों तक नवरात्र पर्व की धूम रहेगी। 17 अप्रैल को रामनवमी के साथ नवरात्र का समापन होगा। शहर सहित आसपास ऐतिहासिक मंदिर हैं जहां कई सदियों से माता की प्रतिमाएं स्थापित हैं और इन मंदिरों देवालयों में नौ दिनों तक श्रद्धालुओं की भीड़ रहेगी।
गौरतलब है कि शहर में बूढ़ी खेरमाई चार खंबा, बड़ी खेरमाई भानतलैया, बगुलामुखी मंदिर सिविक सेंटर, त्रिपुर सुंदरी मंदिर तेवर, शारदा मंदिर मदन महल पहाड़ी, दुर्गा मंदिर राइट टाउन सहित बरेला स्थित शारदा मंदिर ख्यात प्राप्त हैं। यहां तड़के सुबह श्रद्धालु जल ढारने पहुंचते हैं, वहीं रात में मां के विविध श्रृंगार देखने भक्तों की भीड़ उमड़ती है। मंदिरों के प्रांगण में मेले जैसा माहौल रहता है।
बड़ी खेरमाई मंदिर
जबलपुर की शक्तिपीठ मां बड़ी खेरमाई का इतिहास लगभग 800 वर्ष पुराना है। माता का पहले पूजन शिला के रूप में होता था। जो शिला आज भी गर्भगृह में मुख्य प्रतिमा के नीचे स्थापित है। गोंड शासन काल के दौरान राजा को एक बार मुगल सेना ने परास्त कर दिया तो वे यहां आकर रूके थे, तब उन्होंने शिला का पूजन किया। माता के पूजन पश्चात उन्होंने दोबारा मुगलों से युद्ध लड़ा और विजयी हुए। 500 वर्ष पूर्व गोंड राजा संग्राम शाह ने मढ़िय़ा बनवाई थी।
शारदा देवी मंदिर, बरेला
जबलपुर से 40 मिनट की दूरी और 21 किलोमीटर का रास्ता तय करने के बाद बरेला में माँ शारदा का यह मंदिर स्थित है। माता का यह मंदिर प्राकृतिक, भोगोलिक, एतिहासिक एवं दार्शिनिक रूप से बहुत अद्भुत है शारदा माता माँ का यह मंदिर समुद्र तल से 400 फीट ऊची पहाड़ी पर स्थित है। शारदा मंदिर बरेला की स्थापना स्व. श्रवण कुमार शुक्ल के द्वारा की गई।
मां धूमावती का मंदिर
शहर में मां धूमावती का प्रसिद्ध मंदिर सैकड़ों वर्ष पुराना है। मां बूढ़ी खेरमाई के नाम से जाना जाता है। आज मां धूमावती की जयंती पर यहां भक्तों द्वारा विधि विधान से पूजन अर्चन करने की तैयारी की गई है। हालांकि यहां प्रतिदिन भक्त मां धूमावती की उपासना करने पहुंचते हैं। चार खंबा क्षेत्र में मां धूमावती का मंदिर 1500 साल से भक्तों की साधना स्थली है। यह जबलपुर का सबसे प्राचीन खेरमाई मंदिर है। यहां नवरात्र पर्व के दौरान विशेष रूप से माता रानी का पूजन विधि विधान के साथ किया जाता है। खास बात यह है कि यहां बाना चढ़ाने की विशेष परंपरा है।
शारदा मंदिर मदन महल
मदन महल पहाड़ी के नीचे पर ऊंचाई पर स्थित मां शारदा मंदिर अपने आप में अनूठा है। मनमोहक हरियाली के बीच ऊंचाई पर स्थित शारदा मां का मंदिर अलौकिक शक्ति केंद्र है। मंदिर का निर्माण गोंडवाना साम्राज्य की वीरांगना रानी दुर्गावती ने कराया था। रानी दुर्गावती खुद यहां मां शारदा का पूजन करने आती थीं। इस ऐतिहासिक मंदिर में सावन के महीने में मेला भी लगता है। श्रद्धालु यहां भक्ति भाव से बड़े-बड़े झंडे चढ़ाते हैं।
त्रिपुर सुंदरी मंदिर
त्रिपुर सुंदरी मंदिर जबलपुर से 13 किमी दूर भेड़ाघाट रोड पर स्थित है। 11वीं शताब्दी में बने इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां की मूर्ति 7वीं शताब्दी की है। यह कल्चुरी राजा कर्णदेव की कुलदेवी थीं। यहां लोग मन्नत के तौर पर नारियल बांधते हैं। पूरा होने पर खोलते हैं। मंदिर के पीछे एक व्यवस्थित नगर बसा था, जिसकी पुष्टि पुरातत्व की खुदाई में हो चुकी है। नवरात्र में यहां भारी भीड़ उमड़ती है।