सात बिग कैट्स को बचाने केंद्र करेगा 800 करोड़ खर्च
नई दिल्ली। भारत ने बड़ी बिल्लियों की रक्षा के लिए अपने नेतृत्व में एक मेगा वैश्विक गठबंधन शुरू करने और 100 मिलियन डॉलर (800 करोड़ रुपए से ज्यादा) के निवेश का आश्वासन दिया है। इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस (आईबीसीए) सात बड़ी बिल्लियों- बाघ, शेर, तेंदुआ, हिम तेंदुआ, प्यूमा, जगुआर और चीता के संरक्षण की दिशा में काम करेगा। गठबंधन की सदस्यता 97 रेंज देशों के लिए खुली होगी, जिसमें अन्य इच्छुक राष्ट्र, अंतर्राष्ट्रीय संगठन भी शामिल हो सकेंगे। पिछले माह केंद्र ने आईबीसीए सदस्य देशों के सामने अपना प्रस्ताव रखा है। इसको अगले महीने भारत में में लॉन्च होने की उम्मीद है। पर्यावरण मंत्रालय के अनुसार, गठबंधन पिछले साल नामीबिया से चीतों के आने से प्रेरित था।
आबादी बढ़ी: तेंदुओं की संख्या में 60% की बढ़ोतरी
भारत में बड़ी बिल्लियों की आबादी बढ़ी है। इसमें बाघों की संख्या 2014 में 2,226 से बढ़कर 2018 में 2,967 हो गई। वहीं एशियाई शेरों की आबादी जो 2015 में 523 थी, 2022 में 674 तक पहुंच गई है। वहीं तेंदुओं की संख्या 2014 में 7,910 थी, जो 2022 में 12,852 हो गई है। यानी तेंदुओं आबादी में 60% से अधिक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
सभी बड़ी बिल्लियां हैं मौजूद
मंत्रालय के मुताबिक हमें चीते मिले हैं, इसलिए हम दुनिया के एकमात्र देश हैं जहां बाघ, शेर, तेंदुए, हिम तेंदुए और चीते जंगल में हैं। प्यूमा और जगुआर को छोड़कर आज हमारे पास सभी बड़ी बिल्लियां हैं। इसलिए यह उचित ही है कि भारत सभी बिग कैट रेंज वाले देशों को संयुक्त राष्ट्र जैसे एक छत्र के नीचे लाने का बीड़ा उठाए।
बाघों की संख्या होगी दोगुनी
भारत में 18 राज्यों में लगभग 75,000 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले 52 बाघ अभयारण्य हैं। इनमें जंगली बाघों की वैश्विक आबादी का लगभग 75 प्रतिशत हिस्सा है। देश ने 2018 में ही बाघों की संख्या को दोगुना करने का लक्ष्य हासिल कर लिया है। वहीं आईबीसीए की शासन संरचना में सभी सदस्य देशों की एक महासभा, कम से कम सात की एक परिषद होगी।