बिहार में जातीय जनगणना की रिपोर्ट जारी, 63 प्रतिशत ओबीसी और ईबीसी
पटना। बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने सोमवार को जातिगत जनगणना की रिपोर्ट जारी कर दी। इसमें 63 फीसदी अन्य पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) के लोग हैं। पिछड़ा वर्ग की आबादी 27 से ज्यादा और ईबीसी की 36 और सामान्य वर्ग की 15 प्रतिशत है। बिहार सरकार के प्रभारी मुख्य सचिव विवेक सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आंकड़ों की पुस्तिका जारी की। सरकार ने कुल 214 जातियों के आंकड़े जारी किए हैं। सीएम नीतीश ने सर्वे पर कार्य करने वाली टीम को बधाई दी है। 2011 में हुई जनगणना में राज्य की कुल आबादी 10.41 करोड़ थी, जो सर्वे में बढ़कर 13.25 करोड़ से अधिक हो गई है।
आंकड़े जारी होते ही सियासत में उबाल :
बिहार के जातिगत आंकड़े जारी होते ही सियासत तेज हो गई। भाजपा के केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि यह गणना बिहार की जनता में गरीबों में भ्रम फैलाने के सिवा कुछ नहीं है। वहीं, लालू यादव ने कहा कि यह आंकडेÞ वंचितों, उपेक्षितों और गरीबों के समुचित विकास तथा तरक्की के लिए आबादी के अनुपात में प्रतिनिधित्व देने में देश के लिए नजीर पेश करेंगे।
केंद्र ला सकता है रोहिणी कमीशन की रिपोर्ट सामने :
बिहार सरकार के जातीय जनगणना के जवाब में मोदी सरकार रोहिणी कमीशन की रिपोर्ट को सार्वजनिक कर सकती है। 2017 में मोदी सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 340 के तहत मिली शक्तियों के आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी के उपवर्गीकरण के लिए रोहिणी आयोग बनाया था। 31 जुलाई को रोहिणी आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी।
जातिगत जनगणना से पता चला है कि बिहार में ओबीसी-एससी-एसटी 84 प्रतिशत है। ऐसे में भारत के जातिगत आंकड़े जानना जरूरी है। ‘जितनी आबादी, उतना हक’ ये हमारा प्रण है। - राहुल गांधी, कांग्रेस नेता
रिपोर्ट के आंकड़े
जाति वर्ग जनसंख्या प्रतिशत
अति पिछड़ा वर्ग 4.71 करोड़ 36.01
पिछड़ा वर्ग 3.55 करोड़ 27.12
अनुसूचित जाति 2.57 करोड़ 19.65
अनुसूचित जनजाति 21.99 लाख 1.68
सामान्य 2.03 करोड़ 15.52