जीआरएमसी में विज्ञानी डॉक्टरों की भर्ती का मामला, बढ़ी परेशानी, कोर्ट से लगा झटका
ग्वालियर। फर्जी दस्तावेजों के जरिए जीआरएमसी में नौकरी हथियाने वाली तीन महिला विज्ञानी डॉक्टर शुभ्रा सिंह, ज्योति जैन और मीनू जैन की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है, प्रशासन की जांच, कॉलेज से नोटिस के बाद अब कोर्ट से भी झटका लगा है। तीन महिला विज्ञानी डॉक्टरों में से एक महिला डॉक्टर ज्योति जैन ने इस मामले में कोर्ट में याचिका लगाई थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है।
कोर्ट के रुख के बाद अब इनकी परेशानी बढ़ती नजर आ रही है और तीन महिला विज्ञानी डॉक्टरों पर कार्रवाई होना लगभग तय लग रहा है, दूसरी ओर कॉलेज काउंसिल की मुहर के बाद इनकी नौकरी जाना तो तय है। इसके साथ ही इन पर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी हासिल करने पर कानूनी कार्रवाई होना भी तय है, हालांकि अभी कॉलेज प्रबंधन द्वारा की जा रही जांच पूरी नहीं हुई है, दूसरी ओर यह चर्चा है कि यह मामला दबाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
किसने, कौन से दस्तावेज लगाए फर्जी
डॉ. विकास जैन की पत्नी ज्योति जैन ने ऐथिक ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट नाम की संस्था का पीजीडीसीए का सर्टिफिकेट लगाया। जब जानकारी ली तो पता चला कि इस संस्थान को इस तरह की डिग्री या डिप्लोमा देने की ही पात्रता नहीं है। इसी प्रकार डॉक्टर शुभ्रा सिंह ने सर्वा नामक संस्था का पीजीडीसीए का सर्टिफिकेट लगाया है, जबकि इस प्रकार का कोई संस्थान ही नहीं है। इसके साथ ही डॉ ज्योति जैन ने वीआईएसएम संस्थान में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में 2015 से 2019 तक अध्यापन कार्य का अनुभव प्रमाण-पत्र लगाया जबकि उन्होंने कॉलेज में पढ़ाया ही नहीं। मीनू जैन के कागजात में भी गड़बड़ी पाई गई।
जेयू के पूर्व ईसी मेंबर की शिकायत पर खुला मामला
जीआरएमसी के इस फर्जीवाड़े का खुलासा जेयू के पूर्व कार्यपरिषद सदस्य की शिकायत पर खुलासा हुआ। पूर्व कार्यपरिषद सदस्य की पत्नी ने इस पद के लिए आवेदन किया था, लेकिन चयन समिति ने फर्जी दस्तावेज वालों को नौकरी थमा दी। इसके बाद जब शिकायत के बाद उच्च शिक्षा विभाग ने इस मामले की जांच की तब इस पूरे फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ और तीनों डॉक्टरों के दस्तावेज जाली साबित हुए।
यह है डॉक्टरों की नौकरी का मामला
दरअसल जीआर मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने ग्रुप बी, सी तथा डी के एक-एक पद के लिए 17 मई 2021 को भर्ती का विज्ञापन जारी किया था, जिसमें कई आवेदकों ने आवेदन किए, लेकिन जिन डॉक्टरों का चयन हुआ उसके चयन पर बाकी उम्मीदवारों ने सवाल उठाते हुए संभागायुक्त से दिसंबर 2022 में शिकायत की, तो इस फजीवाड़े का खुलासा हुआ। भर्ती प्रक्रिया में दस्तावेजों की जांच के लिए कॉलेज प्रशासन ने डॉ. केपी रंजन की अध्यक्षता में एक स्क्रूटनी कमेटी गठित की। कमेटी में डॉ. मनोज बंसल व डॉ. गजेन्द्र पाल सिंह भी सदस्य रहे।
प्रबंधन की सांठगांठ से तीनों महिला डॉक्टरों को नौकरी मिली है। इसमें से एक महिला डॉक्टर ज्योति जैन ने कोर्ट में जो याचिका लगाई थी वह खारिज हो गई है। इस मामले में स्क्रूटनी समिति व चयन समिति पर भी कार्रवाई होनी चाहिए, इनकी लापरवाही की वजह से योग्य उम्मीदवारों का चयन नहीं हो पाया। तीनों डॉक्टरों के दस्तावेज उच्च शिक्षा विभाग एवं संभागायुक्त की जांच में फर्जी साबित हो चुके हैं। -डॉ. मनेन्द्र सोलंकी, पूर्व ईसी मेंबर जेयू (शिकायतकर्ता)