50 साल से कम उम्र के लोगों में बढ़ रहे कैंसर के मामले, 30 वर्ष में 79% केस बढ़े
लंदन की बीएमजे ने भारत समेत 204 देशों में 29 तरह के कैंसर पर किया सर्वे
लंदन। भारत समेत दुनिया भर में कैंसर की बीमारी युवाओं को तेजी से अपना शिकार बना रही है। ब्रिटेन में हुई बीएमजे की स्टडी में दावा किया गया है कि 50 साल से कम उम्र के लोगों में कैंसर बहुत तेजी से बढ़ रहा है और पिछले 30 सालों में कैंसर के केसों में 79 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। यह स्टडी भारत समेत 204 देशों पर 29 प्रकार के कैंसर को कवर करने वाली ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज की 2019 की रिपोर्ट के आंकड़ों पर आधारित है। स्टडी में सभी देशों के आंकड़ों, केसों की संख्या और कारकों पर एनालिसिस किया गया था। स्टडी में पाया गया कि साल 1990 में 50 साल से कम उम्र के लोग 18.2 लाख लोग कैंसर से पीड़ित थे, जो आंकड़ा 2019 में बढ़कर 33.6 लाख हो गया। यानी 2019 में 32 लाख 60 हजार कैंसर के मरीज ऐसे थे, जिनकी उम्र 50 साल से कम थी। इसमें 28 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। नैसोफैरिनिक्स और प्रोस्टेट कैंसर के ज्यादा केस आए :स्टडी में पाया गया है कि 2019 में 50 से कम उम्र के लोगों में स्तन कैंसर के शुरुआती मामले सबसे ज्यादा थे, लेकिन 1990 के बाद नाक का कैंसर यानी नैसोफैरिनिक्स और प्रोस्टेट कैंसर तेजी से बढ़ा है। 1990 और 2019 के बीच विंड पाइप (श्वास नलिका) और प्रोस्टेट कैंसर में सालाना 2.28 प्रतिशत और 2.23 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। हालांकि इस दौरान लिवर कैंसर के आंकड़ों में 2.88 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली है, जिसका कारण वैक्सीनेशन है। रेड मीट, ज्यादा नमक से भी खतरा : नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया है कि रेड मीट, ज्यादा नमक, चीनी, प्रोसेस्ड फूड का सेवन, फल-सब्जियां, दूध की कमी, शराब और तंबाकू का सेवन युवाओं में कैंसर का मुख्य कारण है। पिछले साल 2022 में भारत में करीब 14.6 लाख कैंसर के मामले सामने आए थे जो साल 2025 तक बढ़कर 15.7 लाख तक हो सकते हैं।
जेनेटिक फैक्टर्स इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार
पहले कैंसर बढ़ने का कारण आनुवांशिक माना जाता है। खासकर 14 साल से 49 वर्ष के मरीजों के पीछे जेनेटिक फैक्टर्स काफी हद तक जिम्मेदार होते हैं। इसके अलावा मोटापा, डायबिटीज और लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों की वजह से भी यह फैलता है।
टेस्टिंग के कारण बढ़े कैंसर के मामले :
कई विशेषज्ञ मानते हैं कि 50 वर्ष से कम उम्र के लोगों में डायग्नोसिस (टेस्टिंग) का चलन बढ़ा है और इसलिए कैंसर के मामले भी सामने आ रहे हैं। शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया है कि 50 साल से कम उम्र के लोगों में कैंसर के मामलों की संख्या 2030 तक 31 प्रतिशत बढ़ सकती है।
सतर्कता जरूरी 40 साल से ज्यादा उम्र वालों को ज्यादा खतरा
पिछले तीन दशक की रिपोर्ट के आधार पर शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया कि दुनियाभर में नए शुरुआती कैंसर के मामलों और संबंधित मौतों की संख्या में 31 फीसदी और 21 फीसदी का इजाफा हो सकता है। आने वाले 7 सालों यानी 2030 तक 40 साल से ज्यादा उम्र वालों को कैंसर का सबसे ज्यादा खतरा होगा। इसके लिए युवाओं को अपनी हेल्थ पर ध्यान देना होगा।
अनहेल्दी लाइफस्टाइल से रिस्क फैक्टर बढ़ा
कैंसर का सबसे बड़ा रिस्क फैक्टर अनहेल्दी लाइफस्टाइल है। अनहेल्दी लाइफस्टाइल में धूम्रपान, अत्यधिक शराब का सेवन, प्रॉसेस्ड फूड और फिजिकल एक्टिविटी की कमी शामिल हैं। ये आदतें मोटापा बढ़ाती हैं, जो ब्रेस्ट, कोलोरेक्टल और पैनक्रियास समेत कई प्रकार के कैंसर का सबसे बड़ा कारण है। - डॉ. प्रवीण गर्ग, सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्टर, इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल, नई दिल्ली