कांग्रेस में बंपर भर्ती चालू, पुराने नेताओं को संभालना सीनियर्स के लिए चुनौती
नए नेताओं को स्वीकारने के साथ ही भविष्य के असंतोष की चिंता
भोपाल। चुनावी वर्ष में कांग्रेस में लगातार भाजपा और अन्य पार्टियों के नेताओं की बंपर भर्ती जारी है। प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ शनिवार को इंदौर में रहेंंगे। सूत्रों की मानें तो भाजपा छोड़ चुके नेता और उनके समर्थक कांग्रेस में शामिल होंगे। ऐसे में वरिष्ठ कांग्रेस नेता इस बात को लेकर भी आशंकित हैं कि चुनाव आते-आते कहीं भाजपा की तरह भी नए-पुराने के गुट खुलकर सामने आ जाएं। ऐसे डैमेज को कंट्रोल करने वरिष्ठ नेताओं को जवाबदारी होगी कि वे अपने क्षेत्र को संभालें। भाजपा के वरिष्ठ नेता माखन सिंह ने मार्च और पूर्व मंत्री दीपक जोशी ने मई में कांग्रेस की सदस्यता ली थी। इसके बाद 50 से ज्यादा नेता कांग्रेस में आ चुके हैं। इसकी वजह टिकट कटने की आशंका हो या फिर सम्मान में कमी, कांग्रेस ने ऐसे नेताओं को हाथों हाथ लिया है। बुंदेलखंड, मालवा, नर्मदांचल, चंबल या फिर विंध्य क्षेत्र हो, कांग्रेस में आने वालों की बहार रही है।
कांग्रेस में शामिल होने वाले नेताओं की 4 कैटेगरी
1. पुराने भाजपाई : भाजपा संगठन और सरकार से अपेक्षाकृत सम्मान नहीं मिलने के कारण कांग्रेस का दामन थामा। भाजपा छोड़ते समय पूर्व मंत्री दीपक जोशी ने यही आरोप लगाए थे।
2. नए नेता आने से खफा : भाजपा में सिंधिया समर्थकों का जाना भी कई भाजपा नेताओं को रास नहीं आया। यादवेंद्र सिंह ने कांग्रेस में शामिल होने पर कहा था कि-सिंधिया के भाजपा में आने से अशोकनगर के पुराने नेताओं की उपेक्षा होने लगी।
3. सिंधिया समर्थकों की वापसी : ऐसे नेता जिन्होंने अपने नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के पार्टी छोड़ने पर भाजपा की सदस्यता ले ली। ऐसे नेताओें की मानें तो उन्हें भाजपा ने स्वीकार ही नहीं किया। जैसे जावद के समंदर सिंह पटेल।
4. टिकट की आस वाले : कई नेता विधानसभा चुनाव में टिकट चाहते हैं। जैसे कोलारस के विधायक वीरेंद्र रघुवंशी। हालांकि चंद्रभूषण सिंह बुंदेला जैसे नेताओं को कांग्रेस खुद पार्टी में लेना चाहती है।
इस तरह के विरोध
धार जिले में भंवर सिंह शेखावत के कांग्रेस में आने की अटकलों के पहले ही विरोध में पोस्टर लग गए थे। वहीं कई जगहों पर पुराने कांग्रेसियों ने खामोश रहते हुए सक्रियता कम कर दी। नाम नहीं छापने की शर्त पर ये नेता कहते हैं कि चुनाव के समय सामंजस्य नहीं रहा तो विपरीत परिणाम हो सकते हैं, इसलिए नए नेताओं की आमद को लेकर सतर्कता जरूरी है। बड़े नेताओं के दबाव में स्थानीय नेता कुछ कह नहीं पाते।
हमारा थंब रूल, लोकल बॉडी की एनओसी जरूरी जब भी संगठन में नए लोग आते हैं, चर्चाएं तो कई तरह की होती हैं, लेकिन प्रदेश कांग्रेस कमेटी को किसी नए नेता के विरोध की शिकायत नहीं मिली है। हमारे यहां थंब रूल है कि स्थानीय नेता अगर सहमति नहीं देंगे तो सदस्यता नहीं होगी। जिले के प्रभारी सभी कांग्रेसजनों में सामंजस्य बनाने के लिए हैं। कांग्रेस परिवार में सब एक हैं, हम सब मिलकर चुनाव लड़ेंगे। राजीव सिंह, उपाध्यक्ष एवं संगठन प्रभारी पीसीसी