भाइयों की कलाई सुनी न रहे, इसलिए विदेश व सरहद पार सैनिक को बहनें भेज रहीं राखियां
इंदौर। भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का त्योहार रक्षाबंधन 30 अगस्त को है। भाइयों की कलाई सूनी न रहे, इसके लिए इंदौर में डाक विभाग ने एक नई पहल करते हुए बहनों के लिए न केवल राखियों की, बल्कि कुंकुम, चावल और ऑकर्षक लिफाफों की व्यवस्था की है, ताकि वे न केवल सात समुद्र दूर बैठे, बल्कि सीमा पर तैनात अपने भाइयों (जवानों) को राखी भेज सकें। डाक विभाग ने जीपीओ पर राखी काउंटर की शुरुऑत की है, जिसमें दो से ज्यादा प्रकार की 5 हजार से ज्यादा राखियां उपलब्ध हैं। इनमें गुजरात से लेकर राजस्थान की राखियां शामिल हैं। इसके साथ ही बहनों को कुंकुम-चावल और हल्दी की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा सैनिकों के लिए ग्रीटिंग कार्ड, पत्र और शुभकामना संदेश भी भेजने की व्यवस्था की गई है।
इंदौर डाकघर के वरिष्ठ पोस्ट मास्टर श्रीनिवास जोशी का कहना है- हमारे देश की सरहद पर तैनात हमारे जांबाज सैनिकों के लिए न केवल उनकी बहनें, बल्कि कई संस्थाएं राखी भेजती हैं। उसके लिए पोस्ट ऑॅफिस में विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं। इसके लिए अलग काउंटर और लेटर बॉक्स लगाया गया है। इस विशेष राखी काउंटर पर चंदेरी, राजस्थानी, मूंगामोती, देव राखी जैसी करीब दो सौ प्रकार की राखियां हैं। इन्हें भेजने के लिए स्पेशल लिफाफे भी तैयार किए गए हैं। इस बार 15 सौ राखियां बॉर्डर पर सैनिकों भेजी जा चुकी हैं, वहीं यूएसए, यूएके, ऑस्ट्रेलिया, केनेडा में सबसे अधिक राखियां भेजी जा रही हैं। इसके लिए पूरे देशभर में राखियां भेजने का काम चल रहा है
सैनिकों को संस्था भेज रही पांच साल से राखियां
अद्भुत कम्युनिटी एम्पावरमेंट वेलफेयर सोसायटी सिद्धार्थ शर्मा ने बताया कि उनकी संस्था पिछले पांच सालों से ऑर्मी के जवानों के लिए गरीब बस्तियों में रहने वाली बहनें स्वयं राखी तैयार कर भेजती हैं। राखी के साथ कुंकुम, चावल, रूमाल और उनके लिए मन की छुपी हुई भावनों को संदेश में लिखकर भेजती है। खास बात यह है दिल्ली और देहरादून ऑर्मी ऑॅफिस में गोपनीय विभाग द्वारा इन राखियों को पहुंचाया जाता है। इस साल राखी पहली बार पर महू स्थित ऑर्मी कार्यालय में मुंबई से ऑई सात सदस्यीय टीम राखी बांधने जाएगी। इसमें 48 से 85 साल तक की महिलाएं हैं।