पर्यटन स्थल में करोड़ों खर्च पर नहीं लग पाई ब्लू टूथ डिवाइस
जबलपुर। 2016 में जब स्मार्ट सिटी का गठन हुआ तभी से इसके प्रबंधन ने शहर व आसपास के पर्यटन स्थलों के प्रति विदेशियों व बाहरी सैलानियों का आकर्षण बढ़ाने यहां पर सुख-सुविधाओं,पहुंच मार्ग व अन्य कार्य की चिंता जताई थी। इसे रोजगार से जोड़ने के दावे भी किए गए थे। कुछ पर्यटन स्थलों में करोड़ों रुपए खर्च भी किए गए हैं। यहां परआने वाले सैलानियों को हाईटेक सुविधाएं देने के लिए ब्लू टूथ डिवाइस लगाए जाने का काम भी शुरू किया गया था मगर यह काम नहीं हो सका और जिस कंपनी को काम दिया गया था वह काम छोड़कर चंपत हो गई।
बताया जाता है कि कुछ स्थानों पर ये डिवाइस लगा भी दिए गए बाद में इस काम को करने वाली कंपनी और स्मार्ट सिटी प्रबंधन में बात नहीं बनी और कंपनी काम छोड़कर चली गई। इसके बाद स्मार्ट सिटी प्रबंधन ने दूसरी कंपनी से संपर्क नहीं किया। यदि डिवाइस लग जातीं तो पर्यटकों के मोबाइल पर ही पर्यटन स्थल की संपूर्ण जानकारी मिल सकती थी। स्मार्ट सिटी प्रबंधन की लापरवाही से यह योजना पूरी नहीं हो सकी। इसमें लाखों रुपए खर्च भी हो चुके हैं। हालाकि स्मार्ट सिटी के अधिकारी बता रहे हैं कि कंपनी को एक पैसे का भुगतान नहीं किया गया है।
ये मिलती सुविधाएं
स्मार्ट सिटी द्वारा ब्लूटूथ डिवाइस लगाने का काम यदि कहे अनुसार 15 स्थलों पर पूरा कर दिया जाता तो पर्यटकों को उस स्थान की पूरी जानकारी उनके मोबाइल पर मिल जाती साथ ही डिवाइस के माध्यम से आपातकालीन स्थिति में फोन नंबरों की भी जानकारी मिलती। इससे पर्यटक को किसी जरूरत पर यहां-वहां गुहार नहीं लगानी पड़ती। पर्यटन स्थल की खासियत की जानकारी मिलती। पूरा ब्यौरा मोबाइल पर आ जाता।
जो कंपनी डिवाइस लगाने का काम कर रही थी उसके द्वारा ठीक से काम न करने के कारण टर्मिनेट कर दिया गया था। उसे एक पैसे का भी भुगतान नहीं किया गया है। इसके बाद दूसरी कंपनी को लेकर अभी तक कोई चर्चा नहीं हुई है। रवि राव,प्रशासनिक अधिकारी, स्मार्ट सिटी।