गुगल में काम करने वाले अश्वेत कर्मचारियों को गोरों की तुलना में सालाना 17 लाख रुपए कम दी जा रही सैलरी, लीक हुई स्प्रेडशीट से हुआ खुलासा

गुगल में काम करने वाले अश्वेत कर्मचारियों को गोरों की तुलना में सालाना 17 लाख रुपए कम दी जा रही सैलरी, लीक हुई स्प्रेडशीट से हुआ खुलासा

न्यूयॉर्क। अमेरिका में गूगल के कर्मचारियों में नस्ल और लिंग को लेकर वेतन में भेदभाव किया जाता है। लीक हुए आंकड़ों से यह पता चला है कि इस कंपनी में अश्वेत कर्मचारियों को श्वेत की तुलना में औसतन 17 लाख रुपए कम वेतन मिलता है। कंपनी की लीक हुई स्प्रेडशीट से यह खुलासा हुआ है कि अमेरिका में कार्यरत कंपनी के 12 हजार से अधिक कर्मचारी इस भेदभाव के शिकार हैं। कहा जा रहा है कि स्प्रेडशीट को कंपनी के ही किसी व्यक्ति ने मीडिया में दिया है। यह खुलासा ऐसे समय में हुआ है जबकि हाल ही में कंपनी के द्वारा अपने सर्च बार में से मैन ऑवर्स जैसे भेदभाव सूचक शब्दों को हटाने के लिए प्रयास किए जाने की खबरें सामने आई थीं।

काम के आधार पर देते हैं वेतन : गूगल प्रवक्ता

वहीं इस संबंध में गूगल के प्रवक्ता तामानी जयसिंघे का कहना है कि हम कर्मचारियों को उनके काम के आधार पर वेतन देते हैं, इस आधार पर नहीं कि वे कौन हैं।

मकान का किराया चुकाना भी मुश्किल

रहने के लिहाज से सबसे महंगे न्यूयॉर्क सिटी और सिलकॉन वैली में न्यूनतम आधार वेतन भी बहुत कम है। बिग ऐप्पल में स्थित गूगल के दफ्तरों में मिनीमम बेस सैलरी 39.90 लाख रुपए है। इतने में यहां मकान का किराया ही चुकाया जा सकता है। अमेरिका में रहने के लिहाज से सबसे महंगे शहरों में शामिल कैलिफोर्निया, सैन फ्रांसिस्को में कंपनी के कई कार्यालयों में भी मिनीमम बेस सैलरी महज 33.21 लाख रुपए है।

श्वेत या एशियाई हैं अधिकांश कर्मचारी

लीक डाटा से पता चलता है कि गूगल के अफ्रीकी मूल या अश्वेत कर्मचारियों को अपने समकक्ष श्वेत या एशियाई कर्मचारियों की तुलना में 16.62 लाख रुपए कम वेतन मिलता है। इसके अलावा स्पेन के कर्मचारी भी वेतन में भेदभाव के शिकार हैं। कंपनी के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2023 में गूगल के अधिकांश अमेरिकी कर्मचारी या तो एशियाई (44.8 प्रतिशत) या फिर श्वेत (46.2 प्रतिशत) हैं।