भोपाल अब विश्व में ‘ इंटरनेशनल स्पोर्ट्स हब’ के रूप में उभरेगा : यशोधरा

मप्र की बेटियों ने एशियन गेम्स में फहराया भारत का परचम, आशी ने बनाया रिकॉर्ड

भोपाल अब विश्व में ‘ इंटरनेशनल स्पोर्ट्स हब’ के रूप में उभरेगा : यशोधरा

भोपाल। मध्यप्रदेश की खेल एवं युवा कल्याण मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया का दावा है कि शैल-शिखरों और ताल-तलैयों के शहर भोपाल की पहचान अब विश्व में ‘इंटरनेशनल स्पोर्ट्स हब’ के बतौर होगी। खेल विभाग में कई वर्षों की मेहनत अब रंग ला रही है। प्रदेश की डेढ़ दर्जन एकेडमी के बच्चे दुनिया के सामने प्रतिभा दिखाने लगे हैं। घुड़सवारी, शूटिंग और वॉटर स्पोर्ट्स में मप्र की तूती बोल रही है। अब हमारा फोकस तीरंदाजी, फेंसिंग और बॉक्सिंग की तरफ है। एशियन गेम्स में मप्र की बेटियों ने कमाल कर दिया। आशी चौकसे ने दो सिल्वर, एक ब्रांज मैडल जीतकर भारत का परचम फहराया। घुड़सवारी में तो भारतीय टीम ने 41 साल बाद गोल्ड मैडल पर कब्जा जमाया। इसमें इंदौर की बेटी सुदीप्ति हजेला का शानदार प्रदर्शन रहा। खेल मंत्री यशोधरा ने ‘पीपुल्स समाचार’ को विशेष चर्चा में बताया कि प्रदेश में टैलेंट सर्च जैसे नवाचार के अच्छे रिजल्ट सामने आ रहे हैं। गांवों के बच्चों को भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिखाने के मौके मिल रहे हैं। इसका परिचय देवास के किसान की बेटी नेहा ठाकुर ने सेलिंग में सिल्वर मैडल जीतकर दिया।

टैलेंट सर्च के लिए जा रहे गांव-गांव, परिणाम भी मिल रहे

  • मप्र की इस उपलब्धि के पीछे कितनी मेहनत और संघर्ष रहा?

- स्पोर्ट्स नेस्कैफे जैसा नहीं है, बड़ी तपस्या लगती है। लक्ष्य पर नजर के साथ बड़ा दिल और साहस रखा। ऐशियन गेम्स में मप्र की बेटियों की उपलब्धि पूरी दुनिया में गूंज रही है।

  • मप्र की स्पोर्ट्स अकादमियों की बड़ी चर्चा है, कितने बच्चे निकले?

- 44 बच्चे गए हैं उनमें एकेडमी के 19-20 बच्चे हैं। सफर लंबा है, सभी का सपोर्ट भी मिल रहा है।

  • क्या फाइनेंस आदि के संबंध में पूरी आजादी है?

- इसे ऐसा कहेंगे कि हम अपने बजट का भरपूर सदुपयोग कर अधिकतम आउटपुट ले रहे हैं।

  • ओलिंपिक खेलों के लिहाज से मप्र के बच्चों को कहां देखती हैं?

- बड़ा फासला पार करना है, हौसला है हम करेंगे। लेकिन इस स्तर की विशेष तैयारी और तकनीकी सुविधाएं बिलकुल अलग होती हैं। फिर फायनेंस भी एक फैक्टर है। बच्चों की खेल प्रतिभा निखारने के लिए उन्हें 'पीक' पर लाना पड़ता है।

  • प्रदेश के गांव-शहरों में विभाग के टैलेंट सर्च की बड़ी चर्चा है?

- हां, यह सही है हम गांव-गांव में टैलेंट ढूंढने जा रहे हैं। 40-50 बच्चों के मुकाबले अब तो 900 बच्चे तक आ रहे हैं। चयन में हमने किसी भी तरह का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया।

  • चुनाव का मौसम है एक- दो राजनीतिक सवाल ले लें क्या?

- अरे नहीं, अभी तो खेल पर ही फोकस करें, इस बारे में चर्चा कभी बाद में। अभी तो खेल की उपलब्धियों का मौका है।