सनातन और हिन्दू लोगों के लिए प्राण तत्व है भागवत : स्वामी भास्करानंदजी
इंदौर। भागवत केवल ग्रंथ या कथा नहीं, सनातन और हिन्दू धर्मावलंबियों के लिए प्राण तत्व है। भागवत कथा मन को शुद्ध एवं निर्मल बनाने का मंत्र है। भगवान को हमारे धन की नहीं, शुद्ध और पवित्र मन की जरूरत है। यह मन हमें सत्संग और भागवत से ही मिलेगा। भक्ति के लिए अपने गृहस्थ धर्म की जिम्मेदारियों को छोड़कर हिमालय पर जाने या भगवा वस्त्र पहनने की जरूरत नहीं, बल्कि अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए भगवान को नहीं भूलना ही सबसे बड़ी तपस्या है। भागवत हमारे विचारों को शुद्ध बनाती है। परमात्मा के नाम स्मरण में बुद्धि नहीं, भाव की जरूरत होती है। गीता भवन स्थित सत्संग सभागृह में वृंदावन के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद महाराज ने भागवत ज्ञान यज्ञ के शुभारंभ सत्र में उक्त प्रेरक बातें कहीं। कथा का शुभारंभ गीता भवन परिसर में भागवतजी की शोभायात्रा के साथ हुआ।
रिमझिम फुहारों के बीच समाजसेवी प्रेमचंद गोयल, विष्णु बिंदल, अ.भा. अग्रवाल महासभा नई दिल्ली के अध्यक्ष सतीश अग्रवाल एवं सैकड़ों भक्तों ने भजनों पर नाचते-गाते हुए शोभायात्रा में भाग लिया। व्यासपीठ पर विराजित होने के बाद स्वामी भास्करानंद की व्यासपीठ का पूजन समाजसेवी गोविंद-विजयलक्ष्मी अग्रवाल, दीपक-दीप्ति एवं हरि-अरुणा अग्रवाल, श्याम अग्रवाल मोमबत्ती, सुभाष बजरंग, राधेश्याम गुरुजी, बृजकिशोर गोयल, दीपचंद गर्ग, राजेन्द्र मित्तल, रामकुमार अग्रवाल, मुरैना से आए वीरेन्द्र मित्तल, नरेन्द्र मित्तल, पूर्व न्यायाधीश सत्येन्द्र जोशी आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया।
गीता भवन में रविवार से प्रारंभ कथा का यह अनुष्ठान 16 सितंबर तक प्रतिदिन सायं 4 से 7 बजे तक चलेगा। कथा में 12 सितंबर को ध्रुव चरित्र, प्रहलाद चरित्र एवं नरसिंह प्राकट्य, 13 को वामन अवतार, राम एवं कृष्ण जन्म, 14 को बाललीला एवं 56 भोग, 15 को महारास एवं रुक्मिणी विवाह तथा समापन दिवस पर 16 सितंबर को सुदामा चरित्र एवं फूलों की होली के साथ समापन होगा। आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद ने कहा कि हमारे विचार शुद्ध होंगे तो कर्म भी श्रेष्ठ बनेंगे। कर्म से ही हमारा स्वभाव, स्वभाव से ही श्रेष्ठ चरित्र और चरित्र से ही व्यक्तित्व का निर्माण होगा।